एक्सीडेंट में बच्चे की मौत पर मां-बाप को मुआवजे का हक

By: Jan 18th, 2021 12:02 am

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है कि माता-पिता जीवन के किसी चरण में अपने बच्चों पर आश्रित होते हैं और सड़क हादसे में अपनी संतान को खोने वालों को मुआवजा देने से इनकार करना न्यायविरुद्ध होगा। न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने कहा कि माता-पिता बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने के समय उन पर आश्रित नहीं हों, तो भी वे बाद में कभी न कभी अपनी संतान पर आर्थिक और भावनात्मक रूप से निश्चित रूप से निर्भर रहेंगे, जिस तरह बच्चे जीवन के प्रारंभिक समय में माता-पिता पर निर्भर थे। उच्च न्यायालय ने 2008 में एक सड़क दुर्घटना में अपने 23 वर्षीय बेटे को खोने वाली महिला को मुआवजा दिए जाने का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने मुआवजा राशि 2.42 लाख रुपए से बढ़ाकर 6.80 लाख रुपए कर दी। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने कहा था कि टक्कर मारने वाले वाहन की तेज और अंधाधुंध रफ्तार की वजह से दुर्घटना हुई थी। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने आगे कहा था कि मृतक के माता-पिता को सहारा नहीं रहने की वजह से मुआवजे का हक नहीं है, बल्कि केवल संपत्ति के नुकसान की वजह से क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार होता है। अधिकरण ने कहा था कि मृतक के पिता दिल्ली  पुलिस में उपनिरीक्षक थे और इसलिए वह मृतक पर आश्रित नहीं थे। उसने यह भी कहा कि मृतक की मां को भी उन पर निर्भर नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उनके पति दिल्ली पुलिस में सेवारत थे। हालांकि उच्च न्यायालय ने कहा कि मृतक के माता-पिता को कानून में अपने बच्चों पर आश्रित माना जाता है, क्योंकि बच्चों की अपने अभिभावकों की वृद्धावस्था में उन्हें सहारा देने की प्रतिबद्धता होती है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App