सेवानिवृत्ति के बाद : अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं

By: Jan 19th, 2021 12:06 am

जैसे-जैसे प्रो. चौपट नाथ की रिटायरमेंट का समय नज़दीक आ रहा था, उनके माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ती जा रही थीं। वह अपनी तमाम पारिवारिक चिंताओं से मुक्त होकर, बुज़ुर्गों के शब्दों में कहें तो ‘गंगा नहा चुके थे’। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें भारी-भरकम पेंशन भी मिलने वाली थी। फिर भी उन्हें चिंता सताए जा रही थी कि रिटायरमेंट के बाद करेंगे क्या? उनका तो विषय भी ऐसा था कि अगर कॉलेज के बाहर कहीं पढ़ाना चाहते तो अपने सिवा दूजा नसीब न होता। संडे वाले दिन जब वह पंडित जॉन अली से मिलने उनके घर पहुंचे तो देखा कि वह घर में पोचा लगा रहे हैं। पंडिताईन आराम से धूप में बैठकर अ़खबार पढ़ रही हैं। प्रो. चौपट तंज़ कसते हुए बोले, ‘‘पंडित जी, भाभी जी की सेवा हो रही है।’’ पंडित जी ने कहा, ‘‘अमां यार! ़िफलहाल तो रिटायरमेंट की तैयारी हो रही है। तीन दशक से सरकारी नौकरी में हूं। काम करने की आदत रही नहीं। रिटायरमेंट के बाद समय गुज़ारने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा।’’ प्रो. चौपट ने बताया कि वह भी इसी बारे बात करने आए थे। इस पर पंडित जी बोले, ‘‘मेरी तो आज तक यह समझ में नहीं आया कि जब राजनीति में आदमी तिरंगे में लिपटने तक देश की सेवा कर सकता है तो सरकारी नौकरी में क्यों नहीं? फिर हम तो तिरंगा भी नहीं मांगते। वैसे सेवानिवृत्ति के बाद आदमी को बाबू भैया के रोल में ढल कर, तीनों ऋणों की तरह अपनी धर्मपत्नी के ऋण से मुक्त होने के लिए उसकी सेवा में जुट जाना चाहिए। बिल तो आनलाईन भरे जा सकते हैं, लेकिन रसोई, झाड़ू-बर्तन-कपड़े जैसे काम स्वयं निपटाने पर, पेंशन में बरकत बनी रहेगी। चूंकि सरकारी नौकरी में रीढ़ अत्यंत लचीली बन जाती है; ऐसे में उम्र-दराज़ होने पर भी आदमी नाती-पोतों के लिए घोड़ा बन सकता है। अगर घर में बा़ग-ब़गीचे या खेती-बाड़ी है तो रत्तू माली की भूमिका निभाई जा सकती है।

इससे घर में चार पैसे ज़्यादा आने से इज़्ज़त पहले जैसी बनी रहेगी। अगर घर में मंदिर है तो बगुला भगत बन कर, सुबह-शाम बेसुरे, अशुद्ध मंत्रोच्चारण के अलावा आरती गायन कर सकते हैं। अगर आदमी मीठी-मीठी गप्पें मारने में माहिर हैं तो धार्मिक गुरू बन कर करोड़ों की संपत्ति बनाई जा सकती है। अगर परपीड़क और पड़ोसियों की ज़मीन पर नज़र रखने वाला है तो पड़ोसियों के ़िखला़फ झूठे मु़कद्दमे दायर कर सकता है। इससे हिंदुओं के पुनर्जन्म के सिद्धांत को समझने में मदद मिलेगी। अपने दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए किसी अ़खबार या समाचार-पत्रिका में ़कलमघसीटू पत्रकार बन सकता है या अपना फेसबुकिया या वेब चैनल चला सकता है। उम्र भर की दिमा़गी खुजलाहट मिटाने के लिए सोशल मीडिया पर कहानियां, कविताएं और शेर-गीदड़ पेलने के अलावा अपनी किताबें छपा सकता है। सरकारी सेवा के दौरान अगर गली-मुहल्ले के छुटभैया नेता ट्रांसफर के नाम पर धमकाते रहे हैं तो उन्हीं के पद-चिन्हों पर चलते हुए किसी रंगे सियार का लोमड़ बना जा सकता है। समाज सेवा के नाम पर अपने गली-मुहल्ले से कोई चुनाव लड़कर अपनी औ़कात पता लगा सकता है या पोस्ट ऑफिस, बैंक या अस्पतालों में लोगों के फॉर्म भर सकता है। अतः समय रहते सेवानिवृत्ति के बाद की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।’’


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