हीमोफिलिया से पीडि़त 48 साल के व्यक्ति की सफल टोटल नी रिप्लेसमेंट
निजी संवाददाता — चंडीगढ़
हीमोफिलिया से पीडि़त 48 साल के व्यक्ति की हाल ही में पंचकूला के सेक्टर 26 स्थित अल्केमिस्ट-ओजस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सफल टोटल नी रिप्लेसमेंट हुई। अल्केमिस्ट-ओजस अस्पताल में आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के कंसल्टेंट डा. गगनदीप गुप्ता ने कहा कि यह एक बेहद ही जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी। मरीज की हीमोफिलिया की स्थिति के कारण सर्जरी में शामिल जटिलताओं के बारे में बात करते हुएए डा. गुप्ता ने बताया कि हीमोफिलिया ज्यादातर आनुवांशिक विकार है, जो रक्त के थक्के बनाने की शरीर की क्षमता को बाधित करता है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः लोगों को चोट लगने के बाद लंबे समय तक रक्तस्राव होता है। डा. गगन गुप्ता ने कहा कि हीमोफीलिया के दो प्रकार ए और बी हैं। हीमोफीलिया ए में फैक्टर आठ की कमी होती और हीमोफीलिया बी में फैक्टर नौ की कमी होती है।
दोनों ही ख़ून में थक्का बनाने के लिए जरूरी हैं। ये एक दुर्लभ बीमारी है। हीमोफिलिया ए का 10 हज़ार में से एक मरीज पाया जाता है और बी के 40 हजार में से एक। डा. गगन गुप्ता ने कहा कि मरीज टाइप ए हीमोफिलिया से पीडि़त था। प्रीऑपरेटिवए इंट्रा ऑप और पोस्ट ऑप के उपयोग के लिए फैक्टर आठ के 50000 आईयू (अंतरराष्ट्रीय इकाई) की व्यवस्था की गई। अधिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए लोन्ग स्टेम और रॉड का उपयोग किया जाना तय हुआ। रोगी की कम उम्र को ध्यान में रखते हुए, लंबे समय तक चलने वाले गोल्ड इम्प्लांट की व्यवस्था की गई।
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