मिड-डे मील पर कहां, कैसे खर्च किया बजट, दस दिन के भीतर तलब की रिपोर्ट
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी स्कूल प्रिंसीपल को जारी किए निर्देश, दस दिन के भीतर तलब की रिपोर्ट
प्रतिमा चौहान — शिमला
लॉकडाउन व कोरोना काल के दौरान सरकारी स्कूलों के अढ़ाई लाख छात्रों को कैसे राशन पहुंचाया गया, इस पर प्रिंसीपल से रिपोर्ट तलब की गई है। साथ ही वर्ष 2020 तक मिड-डे मील में कितना बजट खर्च हुआ, इस पर भी यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट मांगा गया है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से यह अधिसूचना जारी की गई है। यह भी कहा गया है कि कितने छात्रों को राशन पहुंचाया गया, वहीं कितने अभिभावक अभी भी स्कूलों में आकर राशन लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, इसका भी बायोडाटा भेजा जाए। बता दें कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों से मिड-डे मील को लेकर जो बजट विभाग की ओर से स्कूलों को जारी किया गया था, उसका यूसी इस बार विभाग को नहीं मिला है। ऐसे में बिना यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट के बिना आगामी बजट स्कूलों को कैसे जारी किया जाए, विभाग के लिए यह बड़ी परेशानी बनी हुई है। यही वजह है कि अब शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रिंसीपल को नोटिस जारी कर दस दिन में रिपोर्ट भेजने को कहा है। अहम यह है कि बिना यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट के बिना स्कूलों को नए साल से मिड-डे मील का बजट स्कूलों को जारी नहीं हो सकता है। विभागीय सूत्रों के अनुसार कई स्कूलों से इस तरह की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिसमें छात्रों को राशन ही नहीं दिया गया है।
वहीं कई प्रिंसीपल ने छुट्टियों के दौरान छात्रों को राशन भी नहीं खरीदा है। ऐसे में शिक्षा विभाग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि करीब 10 हजार स्कूल पहली से आठवीं तक के छात्रों को पूरा साल राशन का कितना कोटा दिया गया। इसके साथ मिड-डे मील का कितना पैसा व राशन बचा है, इसकी जानकारी भी शिक्षा विभाग को देनी होगी। हालांकि इस बीच शिक्षा विभाग ने स्कूल पिं्रसीपल को यह भी कहा है कि उन्हें किस तरह की मुश्किलें राशन पहुंचाने में आईं, यह भी बताया जाए। गौर हो कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अढ़ाई लाख छात्रों को मिड-डे मील के तहत खाना मिलता था। वहीं लॉकडाउन व स्कूल बंद होने की वजह से छात्रों को पक्का हुआ खाना नहीं मिलता था। यही वजह है कि सरकार ने यह फैसला लिया था कि घर तक छात्रों को राशन पहुंचाया जाए। पिछले वर्ष छात्रों को राशन घर तक मिलता रहा। हालांकि कई जगह पर जहां पर समय पर राशन नहीं पहुंचाया गया, उन प्रिंसीपल पर नियमों के तहत शिक्षा विभाग कार्रवाई करेगा। अगर राज्य सरकार यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं भेजती है, तो ऐसे में कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
इस साल प्री-नर्सरी को भी मिलना है बजट
इस साल मिड-डे मील के तहत प्री-नर्सरी के छात्रों को भी बजट जारी होना है। पहली बार प्री-नर्सरी के लिए केंद्र सरकार की ओर से बजट दिया जाएगा। ऐसे में राज्य सरकार को मिड-डे मील के बजट का यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट तैयार करना बेहद जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो केंद्र से आने वाला मिड-डे मील के बजट को लेकर रोक सकती है।
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