क्वारंटाइन की ‘लक्ष्मणरेखा’ नहीं लांघ पाएंगे कोविड मरीज

By: Feb 5th, 2021 12:01 am

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने तैयार किया विशेष मोबाइल एप्लिकेशन

कार्यालय संवाददाता – मंडी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने ‘लक्ष्मणरेखा’ का विकास किया है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित बायोमीट्रिक सुविधा के साथ होम क्वारंटाइन मैनेजमेंट एप्लीकेशन (एचक्यूएमए) है, जो खास कर कोविड मरीजों की सुरक्षा के लिए है। एप्लीकेशन बायोमीट्रिक सत्यापन, जियोफेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तालमेल से क्वारंटाइन में मरीज पर लगातार निगरानी रखने और उसकी सटीक पहचान करने में सक्षम है। क्वारंटाइन मैनेजमेंट के अलावा यह एप्लीकेशन कर्फ्यू या किसी राष्ट्रीय आपदा के दौरान सामान्य (गैर-कोविड) मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए एक ऐसे मोबाइल फोन प्लेटफॉर्म का काम करेगी, जिससे कानून तोड़ने वालों की पहचान हो जाएगी।

आईईईई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स मैगजीन में प्रकाशित इस शोध कार्य का वित्तीयन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने किया है। इसमें शोध पत्र के लेखक प्रमुख वैज्ञानिक डा. आदित्य निगम, सहायक प्रोफेसर, कम्प्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी शामिल है, जबकि शोध के सह-परीक्षक डा. अर्नव भवसर(एसोसिएट प्रोफेसर) स्कूल ऑफ  कम्प्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आईआईटी मंडी के साथ आईआईटी मंडी के रिसर्च स्कॉलर दक्ष थापर और पीयूष गोयल हैं। इसमें आईआईटी दिल्ली के डा. गौरव जसवाल और बीआईटीएस पिलानी, राजस्थान के डा. कमलेश तिवारी और रोहित भारद्वाज का भी सहयोग रहा है। लक्ष्मणरेखा के महत्व बारे डा. आदित्य निगम, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी ने बताया कि उन्हें लक्ष्मणरेखा मोबाइल एप्लीकेशन का पायलट वर्जन बनाया है और इसका छोटे डेटासेट पर परीक्षण किया है। इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं। इसके फंक्शन, ‘स्केलेबलीटी’ और उपयोगिता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं ताकि इसे व्यवहार में लाया जा सके।

कुछ ऐसा कहना है शोधकर्ताओं का

शोधकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान में उपलब्ध क्वारंटाइन मैनेजमेंट मोबाइल एप्लीकेशन के तहत सेल्फ आइसोलेशन में लोगों को जियोफेसिंग के जरिए नियमित रूप से अपनी तत्कालिक स्थिति शेयर करनी होती है या उन्हें हर घंटे या दिन में दस बार चेहरे की सेल्फी को अपलोड करना होता है, लेकिन ये जियोफेंसिंग एप्लीकेशन हर समय उपयोगकर्ता की पहचान सुनिश्चित नहीं कर पाते हैं, क्योंकि लोग सेल फोन आइसोलेशन जोन में छोड़ कर अंदर-बाहर जाते हैं। इन खतरों को कम करने के लिए ‘लक्ष्मणरेखा’ किसी व्यक्ति के क्वारंटाइन के स्थान से उसके बायोमीट्रिक डेटा अपलोड करने के स्थान का मिलान करती है। साथ ही एआई का उपयोग करते हुए यह एप्लीकेशन लगातार एक ऑथेंटिकेशन स्कोर की गणना करता है, जिससे सुनिश्चिता के साथ यह माप होगी कि क्वारंटाइन उपयोगकर्ता ही मोबाइल उपयोग कर रहा है। यदि एप्लीकेशन उपयोगकर्ता की पहचान बदलने का संकेत देता है तो सीधे अधिकारियों को यह सूचना पहुंच जाती है।


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