जल संरक्षण का संदेश दे पीएम मोदी ने शुरू की मन की बात, बोले- पारस से भी बढ़कर है पानी

By: Feb 28th, 2021 6:21 pm

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात में जल संरक्षण का संदेश दिया है। उन्होंने माघ मेला से अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात की शुरुआत की और कहा कि अब गर्मियों के दिन शुरू होने जा रहे हैं, इसलिए जल संरक्षण का यह सही अवसर है। पीएम मोदी ने कहा कि जल हमारे लिए जीवन, आस्था और विकास की धारा है। पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए। 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी है। उन्होंने कहा कि माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति,अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है। दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परंपरा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं।

हमारी संस्कृति, क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए इसका विस्तार हमारे यहां और ज्यादा मिलता है। पीएम मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम में संस्कृत की दो ऑडियो क्लिप भी सुनाए, जिसमें एक टूरिस्ट संस्कृत में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में दर्शकों को बता रहे हैं। दूसरे ऑडियो में एक शख्स संस्कृत में क्रिकेट की कमेंट्री कर रहा है। वह शख्स वाराणसी के संस्कृत केंद्र से संबंधित है। पीएम ने कहा कि क्रिकेट के अलावा अन्य खेल की कमेंट्री भी शुरू होनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने खेल मंत्रालय और निजी क्षेत्र से भी भागीदारी की अपील की।

पीएम ने कहा कि आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है। यह वैज्ञानिक डा. सीवी रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज के लिए समर्पित है। हमारे युवाओं को भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में बहुत कुछ पढऩा चाहिए और भारतीय विज्ञान के इतिहास को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मानिर्भर भारत में विज्ञान का योगदान बहुत बड़ा है। हमें विज्ञान को लैब टू लैंड के मंत्र के साथ आगे ले जाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, लद्दाख के उर्जैन फुंटसोग नवाचार तकनीकों के साथ काम कर रहे हैं और चक्रीय पैटर्न मके तहत 20 विभिन्न फसलों को व्यवस्थित रूप से विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं।


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