आंगनबाड़ी वर्कर की मौत की गुत्थी उलझी, जांच कमेटी-आईजीएमसी ने अलग-अलग बताए कारण

By: Feb 23rd, 2021 12:12 am

जांच कमेटी की प्रारंभिक रिपोर्ट और आईजीएमसी प्रशासन ने मौत के अलग-अलग कारण बताए, अब विसरा रिपोर्ट का इंतजार

आईजीएमसी बोला, जीबी सिंड्रोम से हुई थी मौत

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

आईजीएमसी में हुई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत की वजह में नया मोड़ आ गया है। महिला की मौत की वजह गुलियन बैरे सिंड्रोम बीमारी को बताया जा रहा है। ऐसे में आईजीएमसी अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मौत की वजह को कोविड वैक्सीन ही बताना सही नहीं है, लेकिन प्रशासन का यह भी कहना है कि मौत की असल वजह विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगी। ऐसे में महिला की मौत की वजह से अभी तक पूरी तरह से पर्दा नहीं उठ पाया है। आईजीएमसी के एमएस डा. जनकराज ने सोमवार को कहा कि हम जब भी कोई दवा लेते हैं, तो किसी न किसी तरीके से हमारे शरीर में रिएक्शन करती है। ऐसे में अकेले कोविड वैक्सीन को ही मौत की वजह बताना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि एक सिंपल पैरासिटामोल खाने से भी कई बार लोगों की मौत हो जाती है।

 जिन लोगों को पैंसीलीन का इंजेक्शन लगना होता है, तो उसको लगाने से पहले भी टेस्ट करना पड़ता है। ऐसे में और भी कई दवाइयां है, जो रिएक्शन करती है। एमएस ने बताया कि जो बीमारी महिला को थी, उसका पता उन्हें छह मार्च को लगा जब टांगों में वीकनेस हुई। इसके बाद उन्हें टांडा भेजा गया। धीरे-धीरे उनका पूरा शरीर इसकी चपेट में आ गया। सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। उनके शरीर में सीएमबी एंटीबॉडी भी पॉजिटिव पाए गए हैं, जो गुलियन बैरे सिंड्रोम का कारण है। आईसीयू में ज्यादा समय रखने से उन्हें इन्फेक्शन हो गया, जिसके बाद उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ गई।

वैक्सीनेशन से तीन तरह के विपरीत प्रभाव

कोविड वैक्सीन से तीन तरह के प्रभाव देखे जाते हैं, जिनमें वैरी कॉमन, कॉमन, लैस कॉमन हैं। दस लोगों को अगर वैक्सीन लगती है, तो इनमें एक से अधिक लोगों को वैरी कॉमन जैसे इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, छूने से दर्द, थकान महसूस होना, इचिंग होना आम है। कॉमन लक्ष्णों में गिडली होना, बुखार, उल्टी, जुकाम, गला खराब होना, नाक बहना आदी है। इसके अलावा अन कॉमन में भूख न लगना, शरीर के कई जगहों पर गिल्टियां होना, पसीना ज्यादा होना, शरीर में रेशेस होना, बुखार होना है। गौर हो कि जब भी कोविड की वैक्सीन लगाई जाती है, तो उसे शरीर के हिसाब से ढलने में काफी समय लगता है। दो सप्ताह बाद ही किसी तरह से लक्षण मिलते हैं।

पहली बार पैथोलोजिकल एटोस्पी से पोस्टमार्टम

मौत का पता लगाने के लिए पैथोलोजिकल एटोस्पी से पोस्टमार्टम किया गया। इसमें यह पता लगता है कि महिला को कोरोना वैक्सीन से कोई रिएक्शन तो नहीं हुआ है। इससे यह भी पता चलेगा कि वैक्सीनेशन के बाद हुए रिएक्शन से महिला के अंगों को कितना प्रभाव पड़ा है। इससे पहले हिमाचल में किसी भी मरीज की पैथोलोजिकल एटोस्पी नहीं हुई है। आमतौर पर मैडोकोलॉजिकल एटोस्पी करते हैं।

जांच कमेटी ने हार्ट अटैक से बताई मौत

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

कोविड वैक्सीनेशन के बाद हुई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत मामले में जांच कमेटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट स्वास्थ्य सचिव को सौंप दी है, जिसमें बताया गया है कि यह महिला पहले से ही तीन बीमारियों से ग्रसित थी। महिला की मौत हार्ट अटैक से हुई है। ऐसे में वैक्सीनेशन ही मौत की असल वजह है, यह साफ नहीं होता। बहरहाल अभी महिला का बिसरा रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, ताकि मौत की असल वजह का पता चल सके। अभी विसरा रिपोर्ट दो से तीन सप्ताह बाद आएगी, जिसके बाद यह पता चलेगा कि आखिर मौत की असल वजह क्या थी।

हालांकि महिला के नर्व सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया था, जिसके बाद उन्हें हार्टअटैक हुआ और उनकी मौत हो गई। सचिव ने बताया कि अकेले कोविड वैक्सीनेशन को ही इस मौत की वजह बताना तर्कसंगत नहीं है। ऐसे में उन्होंने कहा कि विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असल वजह पता चल पाएगी। महिला को पहले से किडनी और हार्ट की बीमारी भी थी। वहीं, तीसरे चरण में होने वाले वैक्सीनेशन में 50 साल से ऊपर और अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को वैक्सीनेशन के बारे में सचिव ने बताया कि जरूरी नहीं कि वैक्सीन हर व्यक्ति पर रिएक्शन करे, क्योंकि हर शरीर का इम्यून अलग तरीके से होता है। इसके अलावा जो अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं, उन्हें वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है, क्योंकि कोविड पहले ऐसे लोगों को ही अपना शिकार बनाता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।


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