देवभूमि में आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं

By: Mar 8th, 2021 12:16 am

छेड़छाड़ के हर साल 500 से अधिक मामले आ रहे सामने, जागरूकता पर भारी पड़ रही लोगों की मानसिकता

कार्यालय संवाददाता-पालमपुर
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकारें गंभीरता दिखा रही हैं और इस विषय को लेकर जनता को लगातार जागरूक भी किया जा रहा है। बावजूद इसके कुछ प्रतिशत लोगों की मानसिकता देवभूमि को भी रह-रह कर कलंकित कर रही है। पढ़े-लिखे लोगों वाले प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों के मामलों में इजाफा चिंता का विषय बनता जा रहा है। 2004 में जहां महिलाओं से पेश आए विभिन्न अपराधों को लेकर प्रदेश भर में 910 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2020 में यह संख्या बढ़कर 1654 तक जा पहुंची है।

2004 से लेकर 2006 तक प्रदेश में महिलाओं से पेश आए अपराधों के मामलों की संख्या सालाना एक हजार से कम थी, लेकिन उसके बाद से इन मामलों में लगातार बढ़ोतरी होती गई और 2007 से 2012 तक यह आंकड़ा सालाना 1100 के आसपास रहा। 2013 और 2014 में तो यह ग्राफ चिंताजनक तौर से 1500 के पार जा पहुंचा। इसके बाद तीन साल तक महिलाओं के साथ पेश आए मामलों का ग्राफ कुछ कम हुआ, लेकिन बीते तीन वर्षों के दौरान यह आंकड़ा फिर से 1600 के पार जा पहुंचा है। प्रदेश में रेप के हर साल 100 से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

साल 2005 में 141 और 2006 में 113 को छोड़ कर पिछले 11 सालों के दौरान तो यह आंकड़ा सालाना 150 से उपर पहुंचता रहा है। 2004 में प्रदेश में 153 महिलाएं दुराचार का शिकार हुईं, तो 2007 में यह आंकड़ा बढ़ कर 159 पर जा पहुंचा। 2008 में 157, 2009 में 182, 2010 में 160, 2011 में 168 और 2012 में 183, 2013 में 250 , 2014 में 284, 2015 में 244, 2016 में 244 और 2017 में 249 महिलाएं बलात्कार का शिकार हुईं। वहीं, बीते तीन वर्षों में यह तो आंकड़ा चिंताजनक तौर पर 300 से अधिक रहा है। 2018 में प्रदेश में रेप के 345, 2019 में 360 और 2020 में दुराचार के 332 मामले सामने आए। वहीं, महिलाओं से छेड़छाड़ के सालाना दर्ज किए जा रहे 500 के करीब मामले पुरुषों की न बदलने वाली सोच का प्रमाण दे रहे हैं।

क्राइम अगेंस्ट वूमन

2011-1112, 2012-1024, 2013-1596, 2014-1576, 2015-1314, 2016-1216, 2017-1260, 2018-1617, 2019-1640, 2020-1654


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