मटौर-शिमला फोरलेन में नहीं कटेंगी पहाडि़यां; एनएचएआई का दावा, पर्यावरण से नहीं होगी छेड़छाड़

By: Mar 6th, 2021 12:07 am

नीलकांत भारद्वाज – हमीरपुर

पहाड़ी प्रदेश में मटौर से शिमला तक बनने वाले 177 किलोमीटर लंबे फोरलेन की फाइनल सर्वे रिपोर्ट बड़ी राहत लेकर आई है। अनुमान लगाया जा रहा था कि फोरलेन के निर्माण से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ काटने पड़ेंगे, जंगल नष्ट होंगे और बहुत सारे ढांचे गिराने पड़ेंगे, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं होगा। एनएचएआई के इंजीनियजं, डिजाइनर्ज और टनल एक्सपर्ट ने मिलकर जिस तरह डीपीआर बनाई है, उसके अनुसार केवल उतनी ही कटिंग होगी, जितने प्रदेश में नॉर्मल सड़कों या फिर एनएच के लिए की जाती है। करीब दो से तीन बार किए गए सर्वे के बाद जो डीपीआर बनी है, उसमें कहीं भी ऐसा नहीं होगा, जहां रोड को चौड़ा करने के लिए ऊपर से लेकर निचले लेवल तक बड़े-बड़े पहाड़ों को काटना पड़े। मटौर-शिमला फोरलेन में 32 टनल और आठ बाइपास बनेंगे।

 शिमला से शालाघाट तक पहले पैकेज में 12 छोटी और दो बड़ी टनल इसलिए दी गई हैं, ताकि स्ट्रक्चर न गिराने पड़ें। घोड़ा-चौकी से टुटू तक टनल दी गई है। इसी तरह शिमला से हीरानगर तक तीन किमी के दो टनल हैं। इनमें दो ट्यूब्स रहेंगे। इसके अलावा तीन बाइपास बनाए जाएंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि इन टनल और बाइपास के बनने से जहां हजारों स्ट्रक्चर टूटने से बच गए, वहीं दूसरी ओर इनको तोड़ने के बाद जो दो हजार करोड़ से अधिक मुआवजा सरकार को देना पड़ना था, वह भी बच गया, क्योंकि इसी पैकेज में बड़ी-बड़ी पहाडि़यां हैं। इसलिए ऐसी व्यवस्था की गई है कि जहां बड़ी पहाड़ी है, उसे तोड़ने के बजाय दोनों तरफ से रोड बनाया जाएगा। जहां पहाड़ी को नीचे तक लेवल करने के लिए उसे काफी ज्यादा काटने की जरूरत है, वहां ऊपर तक लेवल बनाने के लिए बड़े-बड़े डंगे लगाए जाएंगे। शालाघाट से नौणीचौक तक दूसरे पैकेज में 10 छोटी और एक बड़ी टनल के अलावा दो बाइपास बनाए जाएंगे। नौणी चौक से हमीरपुर तक तीसरे पैकेज में कोई टनल नहीं दी गई है। केवल चार बाइपास बनेंगे, ताकि रिहायशी इलाके प्रभावित न हों। हमीरपुर से ज्वालामुखी तक चौथे पैकेज में छोटे-छोटे दो टनल और दो ही बाइपास बनेंगे। ज्वालामुखी से मटौर तक दो भागों में बनने वाले पांचवें पैकेज के बंगवार से लेकर मटौर तक बी-पार्ट में केवल रानीताल के आगे थोड़ी कटिंग होगी, बाकि अधिकतर डंगों पर काम होगा। पैकेज में कांगड़ा के पास एक टनल और दो बाइपास दिए गए हैं।

2017 से हो रहा सर्वे

223 किलोमीटर लंबे शिमला-मटौर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन में कन्वर्ट करने के लिए इसपर सर्वे 24 मार्च, 2017 को शुरू हुआ था। दिसंबर, 2019 तक चले इस फोरलेन के सर्वे को लेकर सवाल उठते रहे कि पर्यावरण से ज्यादा छेड़छाड़ होगी। ऐसे में एनएचएआई के लिए यह बड़ा चैलेंज रहा कि सर्वे ऐसा हो कि यहां के जंगलों, पहाड़ों और खासकर घरों को कम से कम नुकसान हो। पहले और दूसरे चरण के सर्वे में जहां 20 से 25 किमी कम होने की बात सामने आती रही वहीं अब 46 किमी दूरी मटौर से शिमला तक कम होगी।


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