खाली बरतन लेकर सड़कों पर उतरी महिलाएं

मौराच बस्ती में दो वर्षों से पीने के पानी की बूंद-बूंद के तरसे लोगों का आईपीएच के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

संजीव ठाकुर – नौहराधार
पिछले दो वर्षों से पीने के पानी की बूंद के लिए तरस रही मौराच बस्ती की महिलाएं रविवार को उग्र हो गई। बस्ती की दर्जनों महिलाएं महिला मंडल प्रधान अनिता सूर्यवंशी की अगवाई में दोपहर 12 बजे खाली बाल्टियां लेकर सड़कों पर पहुंच गईं और आईपीएच विभाग के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने आरोप लगाए कि उनकी बस्ती समेत 150 परिवारों के लिए 2010-2011 में सुईंधार उठाऊ नाम की एक उठाऊ पेयजल योजना बनी है। यह पेयजल योजना जुलाई, 2019 से पूरी तरह से ठप है। पेयजल योजना के ठप होने से मौराच बस्ती के 50 से अधिक परिवार पीने के पानी की जहां बूंद-बूंद के लिए तरस रहे है। वहीं अन्य पांच से छह गांवों के लगभग 100 से अधिक परिवारों को भी पेयजल की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। महिला मंडल प्रधान अनिता सूर्यवंशी ने बताया कि गांव की महिलाओं को सुबह चार बजे उठकर बस्ती से करीब तीन किलोमीटर नीचे उतरकर पानी लेने के लिए खड्ड में जाना पड़ता है। खड्ड में भी पानी इतना कम है कि दिन भर 25 से 30 महिलाएं ही पानी भर सकती हैं। पानी भरने के बाद तीन किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़कर पानी घर पहुंचाना पड़ता है। 25 लीटर पानी भरकर उन्हें उससे दो से तीन दिनों तक काम चलाना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि परिवार के एक सदस्य का पूरा दिन पानी भरने में ही लग जाता है जिसके कारण उनके अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीण रण सिंह व वेद प्रकाश ने बताया कि बस्ती के 50 परिवारों को पिछले दो वर्षों से पीने के पानी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है। आठ नवंबर, 2020 को ग्रामीणों ने इस मामले को जनमंच में भी उठाया था। प्रशासन व सरकार की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था कि 20 दिनों के भीतर उन्हें इस समस्या से निजात मिल जाएगी, मगर शिकायत करने के चार महीने बाद भी समस्या जस की तस है। (एचडीएम)