सीमेंट कंपनी के खिलाफ दिया घरना

बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लोगों की मांगें पूरी न होने पर खोला मोर्चा, एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया

निजी संवाददाता-बरमाणा
सोमवार को बरमाणा में एसीसी सीमेंट कंपनी के खिलाफ बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा सांख्यान स्थानीय जनता के साथ अनिश्चितकाल धरने पर बैठीं। एसीसी सीमेंट कंपनी की विस्थापित एवं प्रभावित जनता जो कई वर्षों से एसीसी सीमेंट कंपनी से प्रताडि़त है। पिछले सप्ताह बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्षा सीमा संख्यान एवं स्थानीय जनता उपायुक्त महोदय बिलासपुर से अपनी मांगों को लेकर मिले थे और उनको अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन देकर अवगत करवाया।

जिसमें अपनी मांगों का समाधान करवाने के लिए चार दिन का वक्त दिया था। जब चार दिनों में कोई जवाब नहीं आया तो बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा सांख्यान एवं बरमाणा की विस्थापित एवं प्रभावित जनता ने सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया और एक सप्ताह का समय फिर दिया, लेकिन प्रशासन और एसीसी सीमेंट कंपनी के पदाधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। जिसके परिणाम स्वरूप सोमवार को बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा संख्यान और बरमाणा की विस्थापित एवं प्रभावित जनता के साथ अनिश्चितकाल धरने पर बैठना पड़ा। सीमा संख्यान ने कहा कि एसीसी सीमेंट कंपनी ने बरमाणा, पंजगाईं, धौणकोठी और यहां की साथ लगती पंचायतों से कूड़े के भाव जमीनें खरीद ली। जिसके मुआवजे से न तो और जमीन ही खरीदी गई न ही घर बना पाए।

कुछ लोगों को छोड़कर न ही यहां के लोगों को नौकरी दी जाती है न ही कोई और रोजगार रहा। उन्होंने बताया कि बरमाणा में सीमेंट महंगा है और बाकी जगहों पर सस्ता है। जब कोलडैम में कूछ यूनिट बिजली मुफ्त वहां के विस्थापितों एवं प्रभावितों को मिल सकती है और कोलडैम में जो भी बिजली उत्पादन होती है उसका एक प्रतिशत वहां के विस्थापितों एवं प्रभावितों में बांटा जाता है और एक प्रतिशत वहां के विस्थापितों एवं प्रभावितों की डिवेलपमेंट में लगाया जाता है। तो क्या एसीसी सीमेंट कंपनी से यहां के विस्थापितों एवं प्रभावितों को सीमेंट आधे दाम पर नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने प्रशासन और एसीसी सीमेंट कंपनी के पदाधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाना। बरमाणा, पंजगाईं, धौणकोठी और यहां की साथ लगती पंचायतों की विस्थापित एवं प्रभावित जनता अपने हकों को लेने के लिए अब जाग
चुकी है।