काली-सहस्रनाम

By: Apr 3rd, 2021 12:27 am

-गतांक से आगे…

सुमंत्रा मंत्रिणी घूर्णा ह्लादिनी क्लेश-नाशिनी। त्रैलोक्य-जननी हृष्टा निर्मांसा मनोरूपिणी।। 61।।

तडाग-निम्न-जठरा शुष्क-मांसास्थि-मालिनी। अवन्ती मथुरा माया त्रैलोक्य-पावनीश्वरी।। 62।।

व्यक्ताव्यक्तानेक-मूर्तिट्ठ शर्वरी भीम-नादिनी। क्षेमंकरी शंकरी च सर्व-सम्मोहन-कारिणी।। 63।।

उर्ध्व-तेजस्विनी क्लिन्न महा-तेजस्विनी तथा। अद्वैत भोगिनी पूज्या युवती सर्व-मङ्गला।। 64।।

सर्व-प्रियंकरी भोग्या धरणी पिशिताशना। भयंकरी पाप-हरा निष्कलंका वशंकरी।। 65।।

आशा तृष्णा चन्द्र-कला निद्रिका वायु-वेगिनी। सहस्र-सूर्य संकाशा चन्द्र-कोटि-सम-प्रभा।। 66।।

वह्नि.मण्डल-मध्यस्था च सर्व-तत्त्व-प्रतिष्ठिता। सर्वाचार-वती सर्व-देव-कन्याधिदेवता।। 67।।

दक्ष-कन्या दक्ष-यज्ञ नाशिनी दुर्ग तारिणी। इज्या पूज्या विभीर्भूतिः सत्कीर्तिर्ब्रह्म-रूपिणी।। 68।।

रम्भीरुश्चतुरा राका जयन्ती करुणा कुहुरू। मनस्विनी देव-माता यशस्या ब्रह्म-चारिणी।। 69।।

ऋद्धिदा वृद्धिदा वृद्धिः सर्वाद्या सर्व-दायिनी। आधार-रूपिणी ध्येया मूलाधार-निवासिनी।। 70।।

आज्ञा प्रज्ञा-पूर्ण-मनाश्चन्द्र-मुख्यानुकूलिनी। वावदूका निम्न-नाभिः सत्या सन्ध्या दृढ़-व्रता।। 71।।

आन्वीक्षिकी दंड-नीतिस्त्रयी त्रि-दिव-सुन्दरी। ज्वलिनी ज्वालिनी शैल-तनया विन्ध्य-वासिनी।। 72।।

अमेया खेचरी धैर्या तुरीया विमलातुरा। प्रगल्भा वारुणीच्छाया शशिनी विस्फुलिङ्गिनी।। 73।।

भुक्ति सिद्धि सदा प्राप्तिः प्राकाम्या महिमाणिमा। इच्छा-सिद्धिर्विसिद्धा च वशित्वीर्ध्व-निवासिनी।। 74।।

लघिमा चैव गायित्री सावित्री भुवनेश्वरी। मनोहरा चिता दिव्या देव्युदारा मनोरमा।। 75।।

पिंगला कपिला जिह्वा-रसज्ञा रसिका रसा। सुषुम्नेडा भोगवती गान्धारी नरकान्तका।। 76।।

पाञ्चाली रुक्मिणी राधाराध्या भीमाधिराधिका। अमृता तुलसी वृन्दा कैटभी कपटेश्वरी।। 77।।

उग्र.चण्डेश्वरी वीर-जननी वीर-सुन्दरी। उग्र-तारा यशोदाख्या देवकी देव-मानिता।। 78।।

निरन्जना चित्र-देवी क्रोधिनी कुल-दीपिका। कुल-वागीश्वरी वाणी मातृका द्राविणी द्रवा।। 79।।

योगेश्वरी-महा-मारी भ्रामरी विन्दु-रूपिणी। दूती प्राणेश्वरी गुप्ता बहुला चामरी-प्रभा।। 80।।


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