जन्मदिन पर केक काटते ही छलके बुजुर्ग के आंसू

दयोली वृद्ध आश्रम में मानव सेवा ट्रस्ट सुंदरनगर के संस्थापक प्रकाश बंसल ने बढ़ाया बुजुर्गों का हौसला

निजी संवाददाता—बरमाणा (बिलासपुर)
भगवान की इस दुनिया में ऐसा बिलकुल नहीं है कि किसी का कोई नहीं है। वही किसी न किसी को माध्यम बनाकर भेजता है। अपनों द्वारा ठुकराए हुए लोगों का भी तो वही है। कहना गलत न होगा कि उसे इस कायनात की हर वस्तु की फिक्र है। चाहे वह सजीव हो या निर्जीव। सोमवार शाम दयोली के वृद्धाश्रम यानि अपना घर में अपनों द्वारा दुत्कारे एक ऐसे बुजुर्ग का जन्मदिन मनाया जो न बोल सकता है और न ही लिख सकता है। ऐसे में जब इस बुजुर्ग ने केक काटा तो उनके आंखों का पानी बरबस ही अविरल बहता गया। हालांकि मौका यह खुशी का था, लेकिन वृद्धाश्रम अपना घर का सारा स्टाफ और अन्य वृद्ध भी स्वयं को रोक नहीं पाए। मृत संवेदनाओं और मृत भावनाओं के मरघट को अपने भीतर समेटे इस 65 वर्ष आयु के बुजुर्ग की आंखों से बेबसी और लाचारी का बांध टूट गया। इस बुजुर्ग के आंखों से बहते पानी की पीड़ा स्वयं इस दर्द को बयान कर रही थी।

बरमाणा में लावारिस हालत में मिले इस बुजुर्ग को वृद्धाश्रम के लोग देवली ले आए और अब इनका अच्छे से पालन-पोषण हो रहा है। 72 प्रतिशत दिव्यांग को अपने बारे में भी कुछ मालूम नहीं है। अपना घर स्टाफ द्वारा इनका नाम भोला रखा है तथा इस सांकेतिक जन्मदिन का आयोजन भी हर्षोल्लास से किया गया। ट्रस्ट सदस्य मनसा राम ने बताया कि वृद्धाश्रम अपना घर की कुक स्टाफ ऊषा के बेटे का जन्मदिन था लेकिन बेटे के जन्मदिन को उन्होंने इस अनूठे अंदाज में मनाकर समाज में भी अनुकरणीय उदाहरण की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर मानव सेवा ट्रस्ट सुंदरनगर के संस्थापक प्रकाश बंसल ने बुजुर्गों से वार्ता कर उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने बताया कि अपना घर में सभी बुजुर्गों का पूरा ध्यान रखा जाता है। भोजन, आवास तथा स्वास्थ्य जांच के साथ दवा आदि का भी प्रबंध ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। इस कार्यक्रम में मानव सेवा ट्रस्ट के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता मंशाराम, ऊषा, दिव्या नेहा, प्रबंधक रवि कुमार के साथ वरिष्ठ नागरिक और जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे।