डीआरडीओ और प्रशासन

By: May 15th, 2021 12:05 am

डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट आरगेनाइजेशन यानी डीआरडीओ भारतीय सेना के नान फाइटिंग डिफेंस सिविलियन विंग का महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसका मुख्य उद्देश्य सेना के लिए जरूरी हर चीज़ की खोजबीन करना तथा जो सामान सेना के पास किसी दूसरे जरिए से आया है, उसका सेना की जरूरत के हिसाब से विकास करना है। जब इन चीजों की या सामान की बात होती है तो मोटा-मोटा कह सकते हैं कि उसमें सुई से लेकर हवाई जहाज तक की हर चीज आ जाती है, पर मुख्यतः ज्यादा जोर नए हथियार बनाने, जिसमें राइफल, मिसाइल, गन, गोला-बारूद, टैंक तथा बड़े लड़ाकू वाहनों व विमानों के फिटमेंट आइटम आदि पर रहता है। परंतु अब जब कोरोना काल में भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में हेल्थ रिलेटेड चीजों  की मांग एकदम से बहुत बढ़ गई है और प्रशासन को इसकी उपलब्धता कराने में मुश्किल पेश आ रही है, तब भारत में सेना के इस डिफेंस सिविलियन विंग ने भी आगे बढ़कर प्रशासन की मदद करने का फैसला लिया है।

 देश की जरूरत के हिसाब से सेना ने जब अपने अस्पतालों को कोविड-केयर सेंटर में तब्दील करने तथा सभी डॉक्टरों को, जिनमें सेवारत तथा 2 साल पहले सेवानिवृत्त हुए डॉक्टर भी शामिल हैं, उनको इस आपदा की घड़ी में जरूरत के हिसाब से काम करने के लिए कार्यरत करने का फैसला लिया है, उसी वक्त डीआरडीओ ने भी अपनी इनजैनयूनिटी या अपने साधनों से ही कोविड बेड वाले अस्पताल एवं वेंटिलेटर आदि बनाने तक के अभी तक के योगदान से ऊपर उठकर अब कोरोना का इलाज करने की दवाई भी बना ली है, जिसे भारत सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों पर इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है। यह दवाई रेमडेसीविर के अलावा कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो सकती है। डीआरडीओ के इस योगदान के लिए पूरा देश उसका धन्यवादी है, जिसने लीक से हटकर हथियारों की खोज और विकास करने वाले इस विभाग ने दवाई का निर्माण कर एक नई मिसाल प्रस्तुत की है।

 आज इस महामारी के समय में जब देश की हर एजेंसी और विभाग हालात सुधारने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, हर तरह के संगठन भी सेवाभाव से आगे आ रहे हैं। देर से ही सही, पर अब सरकार भी जागी है और मामले में सीरियस हुई, पर कुछ गिद्ध जो ऐसी स्थिति में भी जरूरी दवाइयों और ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहे हैं, राजनेता जो एंबुलेंस को छिपाकर रखे हैं तथा बड़े उद्योगपति, मशहूर खिलाड़ी, फिल्मी कलाकार जो इस मुश्किल घड़ी में देश से बाहर जा रहे हैं, उन्हें चिन्हित कर भविष्य में उनके साथ कैसे व्यवहार होना चाहिए, यह आम जनता को सोचना होगा। आज जब सारा तंत्र इस महामारी से पार पाने के लिए प्रयासरत है, तो हम सबकी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम सरकार द्वारा दिए गए हर निर्देश का पालन करें और जो संभव हो सके, दूसरों की मदद करें।

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक


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