फार्मा कंपनियों मेें एपीआई की चुतौती, एसोचैम की चीन से आयात में अड़चन दूर करने की अपील
निजी संवाददाता — चंडीगढ़
मुश्किल समय दौर में जब देश कोविड-19 की दूसरी लहर के साथ लड़ रहा है, ऐसे में फार्मा क्षेत्र को बढ़ती कीमतों और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रिडियंटस (एपीआई) की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि 85 प्रतिशत एपीआई चीन से आयात होता है। एसोचैम ने सोमवार को चीन से आयात में अड़चन को दूर करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग की। एसोचैम उत्तरी क्षेत्र ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया, जो कि एसोचैम रीजनल काउंसिल ऑन पॉलसी एडवोकेसी इंनिशिएटिव के चेयरमैन विवेक अत्रे अध्यक्षता में किया गया था, जिसमें उत्तरी राज्यों के सभी स्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल के चेयरमैनों ने हिस्सा लिया।
ऐसोचैम, नार्थ रीजनल डिवेलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन, एएस मित्तल ने कहा इस तरह के कार्य इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान स्वीकार्य नहीं हैं, देश महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। विवेक अत्रे ने फार्मा सेक्टर के लिए आवश्यक घटक के रूप में एपीआई के मूल्य निर्धारण में संतुलन करने की जरूरत महत्त्वपूर्ण है, यह तत्काल आवश्यकता है। जिन दवाओं के लिए कच्चे माल की लागत कई गुना बढ़ गई है, उनमें पैरासिटामोल (कीमत 350 से 790 रुपए प्रति किलो) प्रोपलीन ग्लाइकोल (140 से 400 रुपए प्रति किलो) इवर्मेकटीन (18000 से 52,000 प्रति किलोग्राम) डॉक्सीसाइक्लिन (6000 प्रति किलो 12,000 रुपए) एजिथ्रोमाइसिन (8000 से 12,000 प्रति किलोग्राम) शामिल है। एसोचैम, के हिमाचल डिवेलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन आयुष ग्रुप ऑफ कंपनीज इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर जितेंद्र ने आर्थिक प्रभाव ने फार्मा क्षेत्र पर एक टोल लेना शुरू कर दिया है।
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