गन्ना करेगा आपको मालामाल

मंड और पांवटा में गन्ने की बिजाई जोरों पर, ट्रैक्टर में मशीन लगाकर तैयार किए जा रहे खेत

गन्ने की फसल साल में दो बार होती है। इन दिनों भी गन्ने को निकालने के बाद बीजने का दौर है। तकनीक के जमाने में गन्ने को बीजने का स्टाइल भी बदल गया है। एक खबर…

गन्ने की दो फसलें होती हैं। एक मार्च-अप्रैल में और दूसरी सितंबर अक्तूबर में।  यानी जब फसल निकाली जाती है,तो उसके बाद गन्ना बीज दिया जाता है। कभी गन्ने को बीजने में काफी कठिनाई होती थी, लेकिन अब मशीनों के कारण यह काम आसान हो गया है। गन्ने की बिजाई का हाल जानने के लिए अपनी माटी के लिए हमारे सहयोगी सुनील कुमार ने मंड इलाके का दौरा किया। पता चला कि गेहूं और गन्ने की फसल की कटाई के बाद इसकी बिजाई जोरों पर है। खास बात यह कि  यहां कोई भी गन्ना मिल नहीं है।  ऐसे में  मंड एरिया के गन्ना उत्पादक 1991-92 से इंडियन सूकरोज़ लिमिटेड मिल मुकेरियां  पंजाब  से एग्रीमेंट के तहत गन्ने की  सप्लाई करते आ रहे हैं । कैन कमिशनर पंजाब चंडीगढ़ द्वारा इस मिल को मंड एरिया से बिना रोक टोक गन्ना खरीदने के आदेश जारी किए हुए हैं । इसके चलते इस मिल द्वारा ठाकुरद्वारा और मीलवां में दो डिवीजन आफिस खोले गए हैं। ये हिमाचल के 40 गांवों में गन्ने की खेती करवा रहे है। मंड के अलावा गन्ने की बिजाई ऊना और पांवटा में भी चल रही है।

      रिपोर्टः निजी संवाददाता, मीलवां

अस्टूमेरिया फ्लावर उगाना चाहते हैं तो कुछ ऐसा करें

नौणी के एक्सपर्ट ने दिए टिप्स

अस्टूमेरिया नामक फूल सजावट में काम आता है। यह कट फ्लावर ट्रेड में काम आने वाला महत्त्वपूर्ण फूल है। हिमाचल में इस फूल को उगाने के लिए बेहतर जलवायु है। एक खबर…

फूलों की बात की जाए, तो कट फ्लावर्ज का अपना ही क्रेज है। ये फूल काफी महंगे भी होते हैं। इन्हीं फूलों में से एक है अस्टूमेरिया। अस्टूमेरिया  के बारे में जानने के लिए अपनी माटी टीम ने नौणी यूनिवर्सिटी का दौरा किया। हमारी सहयोगी मोहिनी सूद ने पुष्प विभाग में डा. भारती कश्यप से बात की। भारती कश्यप ने बताया कि यह फूल हिमाचल में साल दो हजार में आया था। प्रदेश में इसे शिमला, चायल और पालमपुर जैसे इलाकों में उगाया जा सकता है। इस कट फ्लावर को गमले अलावा क्यारियों में उगाया जा सकता है। वहीं, पोलीहाउस या खुले का ऑपशन भी रहता है। इसे प्रकंदों द्वारा लगाया जा सकता है। इसमें जड़ें होनी चाहिएं। इसे पिट्स खोदकर लगाया जाना फायदेमंद रहेगा। एक मीटर दायरे में चार पौधे लगाए जा सकते हैं। नवंबर माह इसके लिए बेहतर रहेगा।                                         रिपोर्टः निजी संवाददाता, नौणी

पंजाब में नहीं बिक रही हिमाचली गेहूं मशीनों से कनक काटने का रेट हुआ डबल

कांगड़ा के पंजाब बार्डर से सटे मंड इलाके के किसानों पर इन दिनों डबल मार पड़ रही है। फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है।

मंड क्षेत्र को हिमाचल  का अन्न भंडार भी कहते हैं। यह इलाका कांगड़ा और पंजाब के बार्डर पर है। इन दिनों यहां के किसान बड़ी मुश्किल में घिरे हुए हैं। एक तो पंजाब में उनकी गेहूं बिक नहीं रही है और दूसरे गेहूं काटने वाली मशीनों का किराया काफी ज्यादा हो गया है। किसानों ने बताया कि  पंजाब ने मंड क्षेत्र की गेहूं को लेने से मना कर दिया है। बड़े दुख की बात है कि हिमाचल की सरकार अभी तक ठाकुरद्वारा में एफसीआई का खरीद केंद्र नही खुलवा सकी है ।

अभी तक मात्र टेंडरिंग प्रक्रिया भी चली हुई है। सरकार ने भले ही गेहूं के दाम  1975 रूप प्रति क्विंटल रखें हों, लेकिन स्थानीय आढती 1800 रुपए से ज्यादा में कनक नहीं खरीदते। दूसरी ओर गेहूं काटने वाली मशीनों के मालिक प्रति एकड़ कनक कटाई का 2000 हजार रुपए ले रहे हैं। ऐसे में किसानों का भटठा बैठ गया है। किसानों ने सरकार से इस मामले पर कार्रवाई मांगी है।                                                                                                रिपोर्टः निजी संवाददाता, ठाकुरद्वारा

पहले देश सेवा, फिर किसान और अब बागबान बनकर सेवा कर रहा यह हिमाचली सपूत

न रुकना है, न थकना है। इसी मंत्र को लेकर कई हिमाचली खेती और बागबानी में शानदार काम कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं नरेश शर्मा। पढि़ए यह खबर

सूबेदार मेजर नरेश ने कायम की मिसाल

हिमाचल के सबसे बड़े विकास खंड में कौलापुर नामक पंचायत है। इस पंचायत के दोदू राजपूतां गांव में होनहार फार्मर नरेश शर्मा ने खेती और बागबानी में शानदार काम करके मिसाल कायम कर दी है। नरेश आर्मी से रिटायर्ड आनरेरी सूबेदार हैं। उन्होंने करीब 22 बर्षो तक  सेना की नौकरी की। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने खेती पर ध्यान देना शुरू किया। खेती में उन्होंने अभी सात कनाल भूमि मे घीया, टमाटर, तोरी, करेला, लौकी आदि कई मौसमी व बेमौसमी सब्जियां उगा रखी हैं।  इसके अलावा इलायची, चीकू, संतरा, सेब गलगल , निंबू, सीताफल, कटहल, केला की कई वैरायटी तैयार की हैं। यही नहीं, उनके पास चौसा और दशहरी आदि आम भी तैयार किए हैं। नरेश कहते हैं कि उन्हें साल में दो लाख तक आमदनी हो रही है। खास बात यह कि वह अपने खेतों में देशी खाद डालते हैं। अभी दूर दूर किसान उनसे खेती के गुर सीखने आ रहे हैं। आज नरेश जैसे किसानों पर पूरे प्रदेश को फख्र है।                                                                           रिपोर्टः निजी संवाददाता, गरली

गोहर पहुंची मक्की बीज की पहली खेप

कृषि विभाग ने गोहर क्षेत्र के किसानों को विभिन्न किस्मों का 300 क्ंिवटल बीज मुहैया करवा दिया है, जिसमे सिंगल क्रास मक्की 30, डबल क्रास मक्की 80 क्ंिवटल, चरी का 150 तथा बाजरे का साढ़े 40 क्ंिवटल बीज उपलब्ध करवाया जा चुका है।

विभाग ने मक्की के सिंगल क्रास का रेट 107 रुपए तथा डबल क्रास का 90 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से निर्धारत कर रखी है, जिसमें 40 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से किसानों को सबसिडी दी जाएगी। फिलहाल गोहर ब्लॉक में सीजन की यह पहली खेप आई है। ज्ञात रहे कि कृषि विभाग के गोहर स्थित एसएमएस कार्यालय से इस बार आला अधिकारियों को मक्की के विभिन्न किस्मों की 560 क्ंिवटल बीज की डिमांड की गई है, जिसके एवज में विभाग ने अपनी पहली खेप में गोहर ब्लॉक को मक्की का मात्र 110 क्ंिवटल बीज ही उपलब्ध करवाया है। जो फिलहाल डिमांड के अनुरूप ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।

      रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता-गोहर

इस अनाज केंद्र से क्यों दुखी हैं किसान

अनाज मंडी फतेहपुर में पिछले 15 अप्रैल से गेहूं खरीद केंद्र खोला गया है, लेकिन वहां पर किसानों से उनकी जमीन के कागजात लेते हुए प्रति कनाल डेढ़ क्विंटल औसत के हिसाब से उनकी फसल खरीदी जा रही है, लेकिन कहीं-कहीं प्रति कनाल अढ़ाई से तीन क्विंटल फसल की पैदावार भी हो रही है। दसके चलते किसानों को बची हुईं अपनी फसल बाहर सस्ते दामों पर बेचनी पड़ रही है। पहले जो जमीन बंजर हुआ करती थी, आज वहां पर सिंचाई की सुविधा होने कारण किसानों द्वारा उस जमीन को उपजाऊ बना दिया गया है। अनाज मंडी फतेहपुर के प्रधान मलकियत सिंह धारीबाल ने मांग करते हुए कहा कि किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों में एक कदम और बढ़ाते हुए प्रति कनाल तीन क्विंटल की औसत अनुसार किसानों की फसल खरीदी जाए। इसके साथ ही कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब में आधार कार्ड लेते हुए किसानों से फसल खरीदी जा रही है तो हिमाचल में जमीन के कागजात मांगे जा रहे हैं, जिस कारण भी खासकर काश्तकार परेशान हो रहा है। उन्होंने कहा कि फसल तो जमीन में ही उगेगी, तो कागजात की क्या जरूरत है। इसके अलावा जो किसान किसी दूसरे की जमीन में खेती कर फसल उगा रहे हैं उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है , जिसका भी हल सरकार को तुरन्त करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा फसल रखने के लिए प्लेटफार्म तो बना हुआ है, लेकिन ऊपर शैड न होने की वजह से मौसम खराब होने की स्थिति में किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि प्लेटफार्म के ऊपर शैड बनबाने की ब्यबस्था की जाए।

रिपोर्टः    निजी संवाददाता, मैहतपुर

घुमारवीं में खुलेगा फसल खरीद केंद्र

बिलासपुर व हमीरपुर जिला सहित आसपास इलाके के किसानों के लिए राहत की खबर है। किसानों को अब अपनी फसल बेचने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। प्रदेश सरकार किसानों की फसल खरीद को घुमारवीं में फसल खरीद केंद्र खोलेगा। इसके लिए घुमारवीं शहर के समीप पट्टा में हिमफैड के स्टोर को चिन्हित कर लिया है। इसमें किसान अपनी गेहूं की फसल को सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बेच सकेंगे। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए निर्धारित किया है। यह ऐलान प्रदेश सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री एवं घुमारवीं के विधायक राजेंद्र गर्ग ने घुमारवीं के सिल्ह में किया। इस मौके पर खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने सिल्ह में संस्कार ग्राम संगठन का शुभारंभ किया। खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने कहा कि किसानों को फसल बेचने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था। फसल को बेचने के लिए किसानों को इधर-उधर न भटकना पड़े तथा उन्हें फसल का भरपूर दाम मिले। इसके लिए सरकार प्रदेश में जगह-जगह फसल खरीद केंद्र खोल रही है। इसके तहत घुमारवीं में भी फसल खरीद केंद्र खोला जाएगा। जहां पर किसान अपनी गेहूं की फसल सरकार के तय समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे।

रिपोर्टः स्टाफ रिपोर्टर, घुमारवीं

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