बच्चों के मनोभावों की अभिव्यक्ति ‘निश्छल बचपन’
पुस्तक समीक्षा
डा. नलिनी विभा नाज़ली का एक और बाल कविता संग्रह ‘निश्छल बचपन’ प्रकाशित हुआ है। 88 पृष्ठों के इस संग्रह में 68 कविताएं संकलित हैं। अविचल प्रकाशन बिजनौर से प्रकाशित इस कविता संग्रह का मूल्य 250 रुपए है।
सहज, सरल, निश्छल भावों को सहज-सरल भाषा में अभिव्यक्ति सरल-सरस छंदों (लय) की बानगी, सरस गेयता की मिठास, मुक्तक भावों की कथा परक व्यंजना, संकेत रूप में सद्गुणों का संप्रेषण ही बाल कविता की विशेषता-श्रेष्ठता है जो इस संकलन में सर्वत्र मिलती है। बाल साहित्य जितना महत्त्वपूर्ण है, उतना ही कम लिखा जाता है। शायद बाल मानस के धरातल पर उतरना, उससे तादात्म्य बैठाना हर किसी के वश में नहीं। प्रस्तुत संकलन बाल साहित्य सृजन की चुनौतियों को स्वीकारती कविताएं हैं।
इन कविताओं से गुजरते हुए ऐसा अनुभव होता है कि रचनाकार ने बाल जीवन की यथार्थ और बाल मनोविज्ञान का दर्शन बखूबी अनुभूत किया है। बाल साहित्य संसार में एक आकर्षक एवं सार्थक काव्य संग्रह का प्रकाशित होना बहुत सुखद अनुभूति है। डा. नाज़ली की कृति ‘निश्छल बचपन’ बाल कविता की परंपरा में बेहद गंभीर प्रयास है।
बाल मनोविज्ञान के यथार्थ को समझने वाली कवयित्री डा. नलिनी जानती हैं कि राजा-रानी की कहानी सुनना आज बच्चों की प्राथमिकता नहीं रह गई है, वे तो नानी से स्पाइडरमैन, हेलिकॉप्टर और मशीन से चलने वाली गुडि़या की गाथा सुनना चाहते हैं। यही कारण है कि जन संचार उनकी कविता का विषय बन जाता है। बच्चों के विभिन्न मनोभावों को अभिव्यक्त करता यह संग्रह पाठकों को अवश्य पसंद आएगा।
-फीचर डेस्क
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