भारत ने भी बढ़ाया सुरक्षा घेरा, लद्दाख में 50 हजार अतिरिक्त सैनिक तैनात

By: Jun 16th, 2021 12:07 am

ड्रैगन के तिब्बत में लगातार युद्धाभ्यास के बीच भारत ने भी बढ़ाया सुरक्षा घेरा

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

गलवान घाटी में पिछले साल खूनी झड़प की घटना ने भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव को काफी बढ़ा दिया। इस घटना के बाद से लद्दाख में जहां भारतीय सेना ने अपनी स्थिति मजबूत की है, वहीं पूर्वोत्तर में भी सैन्य रूप से बेहतर स्थिति में है। सिक्किम और अरुणाचल के साथ लगी सीमा पर भारत ने अपनी स्थिति पहले मुकाबले अधिक मजबूत कर ली है। लद्दाख में 50000 से अधिक अतिरिक्त भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया है। कुछ सैनिकों को सर्दियों में वापस बुला लिया गया था, लेकिन अब उन्हें फिर से तैनात किया गया है। क्योंकि चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने तिब्बत में अपना युद्ध अभ्यास जारी रखा हुआ है।

 पिछले एक साल में चीन और भारत दोनों ने ही सुरक्षा घेरा मजबूत किया है। पीएलए एक ओर जहां अपने सैनिकों को पूरे वर्ष लद्दाख क्षेत्र में रहने की ट्रेनिंग दे रहा है। साथ ही तिब्बत में पूर्वी लद्दाख की ओर अधिकांश प्रमुख हवाई क्षेत्रों और सेना के ठिकानों से निर्माण गतिविधि की सूचना मिली है। दोनों पक्षों ने पैंगोंग इलाके से सैनिकों को वापस लेने का फैसला किया था, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है।।

भारत की स्थिति पहले के मुकाबले कहीं बेहतर

लेफ्टनेंट जनरल विनोद भाटिया (रिटायर्ड) पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक का कहना है कि गलवान का मतलब है कि चीन को दूर के खतरे के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह स्पष्ट और वर्तमान खतरे का संकेत था। लद्दाख में चिंता का सबसे बड़ा क्षेत्र अब भी देपसांग मैदान है, जो गलवान के उत्तर में स्थित है। 1 स्ट्राइक कोर, जो परंपरागत रूप से पाकिस्तान पर केंद्रित थी, अब चीन सीमा पर उसका ध्यान केंद्रित है। 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को उत्तर पूर्व में सुरक्षा के लिए मजबूत किया जा रहा है। उत्तर पूर्व में आतंकवाद विरोधी भूमिका से मुक्त की गई असम रायफल्स बटालियनों को भी चीन सीमा पर एक नई भूमिका होगी। स्थिति से वाकिफ  अधिकारियों का कहना है कि चीन सीमा पर खतरा टला नहीं है, लेकिन भारत अब रसद, बुनियादी ढांचे और सैनिकों की स्थिति के मामले में कहीं बेहतर तैयार है।


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