चांदी सी चमकी चानू, वेटलिफ्टिंग में 21 साल का सूखा खत्म

By: Jul 25th, 2021 12:11 am

एजेंसियां— टोक्यो

ओलंपिक की भारोत्तोलन स्पर्धा में पदक के लिए भारत का 21 वर्ष का इंतजार महज 30 सेकंड में खत्म करने वाली मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता, तो उनकी विजयी मुस्कान ने उन सभी आंसुओं की भरपाई कर दी, जो पांच साल पहले रियो में नाकामी के बाद उनकी आंखों से बहे थे। पांच साल पहले खेलों के महासमर में निराशाजनक पदार्पण के बाद इसी मंच से वह रोती हुई गई थीं।

उनकी इस ऐतिहासिक जीत से भारत पदक तालिका में अभी दूसरे स्थान पर पहुंच गया, देश ने यह उपलब्धि पहले कभी हासिल नहीं की थी। मणिपुर की 26 साल की भारोत्तोलक ने कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) से कर्णम मल्लेश्वरी के 2000 सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन किया। इससे उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकीं थीं। वह पिछले कुछ महीनों से अमरीका में ट्रेनिंग कर रही थीं। 2016 का अनुभव काफी खराब रहा था और उन्होंने इसके बारे में बात करते हुए कहा था कि बड़े मंच पर अपने पदार्पण के दौरान वह कितनी घबराई हुई थी। मणिपुर की इस भारोत्तोलक ने समय लेकर वजन उठाया। उन्होंने अगले प्रयास में 87 किग्रा वजन उठाया और फिर इसे बढ़ाकर 89 किग्रा कर दिया, जो उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 88 किग्रा से एक किग्रा ज्यादा था जो उन्होंने पिछले साल राष्ट्रीय चैंपियनशिप में बनाया था। हालांकि वह स्नैच में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बेहतर नहीं कर सकीं और स्नैच में उन्होंने 87 किग्रा का वजन उठाया और वह जिहुई से ही इसमें पीछे रहीं।

ओलंपिक अंकतालिका

क्रम देश   स्वर्ण       सिल्वर     ब्रांज़       कुल

1           चीन       3           0           1           4

2           इटली      1           1           0           2

2           जापान     1           1           0           2

4           द. कोरिया 1           0           2           3

5           ईक्वाडोर   1           0           0           1

12         भारत      0           1           0           1

2016 में नहीं उठा पाई थीं वेट

2016 रियो ओलंपिक में चानू भार नहीं उठा पाई थीं, तब उनके नाम के आगे डिड नॉट फिनिश लिखा गया था। किसी प्लेयर का मेडल की रेस में पिछड़ जाना अलग बात है और क्वालिफाई ही नहीं कर पाना दूसरी। इस हार से वह डिप्रेशन में चली गई थीं, लेकिन टोक्यो में उन्होंने बता दिया वह चैंपियन है।

गुडलक के लिए खास बालियां पहनकर रिंग में उतरी

टोक्यो- मीराबाई चानू के सिल्वर मेडल के अलावा उनकी कान की बालियों ने भी खूब ध्यान बंटोरा है। मीरा फाइनल में ओलंपिक के छल्लों के आकार की बालियां पहनकर रिंग में उतरी थीं। ये बालियां मीरा की मां तोम्बी लीमा ने 2016 रियो ओलिंपिक से पहले अपने जेवर बेचकर उन्हें तोहफे में दी थीं।

हालांकि, रियो में वे डिस-क्वालिफाई हो गईं। पर 2020 टोक्यो गेम्स में सिल्वर जीतकर उन्होंने मां के त्याग को सफल कर दिया। फाइनल में जब तोम्बी ने मीरा के कानों में वही बालियां देखीं, तो वे खुशी से रो पड़ीं। लीमा ने कहा कि मैंने बालियां टीवी पर देखी थी। मैंने ये उसे 2016 में रियो ओलंपिक से पहले दी थी। अब उन्हीं बालियों में मेडल जीतते देखना मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी है। मीरा के पिता सेखोम कृति की आंखें भी नम हुईं। ये खुशी के आंसू हैं।


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