पुरानी पेंशन योजना लागू करे सरकार

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-मंडी
मजदूर संगठन सीटू की मंडी जि़ला कमेटी की मीटिंग कामरेड तारा चंद भवन मंडी में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता जि़ला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने की और सीटू के राष्ट्रीय सचिव व डा. कश्मीर सिंह ठाकुर भी मीटिंग में विशेष तौर पर शामिल हुए। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सार्वजनिक क्षेत्र को बिक्री करने का काम शुरू किया है। दूसरी तरफ पिछले आठ महीनों से किसान व आम जनता विरोधी कृषि बिलों को निरस्त करने के लिए दिल्ली और देश आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार उनसे बात नहीं कर रही है और प्रधानमंत्री एक तानाशाह की तरह आचरण कर रहे हैं। किसानों, मज़दूरों व आम मेहनतकशों पर हमले बढ़े हैं। वहीं दूसरी तरफ कोविड काल में इस सरकार ने श्रमिकों के पक्ष वाले श्रम कानूनों को बड़ी बड़ी कंंपनियों के पक्ष में बदल दिया है। इसलिए मज़दूरों और किसानों के संगठन आंदोलन के सात महीने पूरा होने के दिन 26 जुलाई से 9 अगस्त तक मोदी सरकार के खि़लाफ़ देश व्यापी आंदोलन करेगी और विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करेगी। सीटू के जि़ला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार मनरेगा मज़दूरों को प्रदेश सरकार का न्यूनतम वेतन 300 रुपये दैनिक न देकर 203 रुपये देकर उनसे भेदभाव और शोषण कर रही है।

उन्होंने बताया कि मंडी लेबर ऑफिस में राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से पंजीकृत निर्माण व मनरेगा मज़दूरों का पंजीकरण, नवीनीकरण और लाभ स्वीकृत करने का काम पिछले छह महीने से लगभग रुक गया है जिसके खि़लाफ़ सीटू लेबर ऑफि स मंडी पर अगस्त के प्रथम सप्ताह में प्रदर्शन करेगी। बैठक में आंगनवाड़ी वर्करों को प्री नर्सरी अधयापक लगाने में प्राथमिकता देने की मांग की गई। मिड डे मील वर्करों को कोर्ट के फैसले के अनुसार 13 महीनों का वेतन देने की भी मांग की गई। इसके अलावा कोविड योद्धा के रूप में काम कर रही आशा वर्करों का लंबित वेतन जारी करने तथा उन्हें न्यूनतम 9 हज़ार रुपए मासिक वेतन देने की भी मांग उठाई गई। बैठक में भूपेंद्र सिंह, राजेश शर्मा, गोपेंद्र शर्मा, गुरदास वर्मा, सुरेंद्र कुमार, दीपक कुमार, मनी राम, नरेश कुमार, राजेंद्र शर्मा, सुमित्रा ठाकुर, हमिंद्री शर्मा, बिमला शर्मा, माया देवी, सुदर्शना, कांता और अंतुला इत्यादि ने भाग लिया।