सेना और जासूसी

By: Jul 24th, 2021 12:05 am

सावन के महीने में हमारी देवभूमि में लगने वाले पारंपरिक मेले तथा मंदिरों की भीड़ पिछले बरस की तरह इस बार भी कोरोना की ग्रास बन चुकी है। इस महीने अत्यधिक बरसात से होने वाली हरियाली से हर खेत, खलियान, रास्ते, गलियां बड़े-बड़े घास एवं झाडि़यों से ढक जाते हैं। जमीन के अंदर पानी रिसने तथा बाहर घास व झाडि़यों का छुपाव मिलने की वजह से रेंगने वाले जीव-जंतु बिलों से बाहर देखने को मिलते हैं। लोग अपनी दिनचर्या में बदलाव के बिना जब बगैर किसी एहतियात के घूमते हैं तो खासकर इस मौसम में सर्प दंश के ज्यादा मामले सामने आते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हर क्षेत्र के लोग आसपास के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करवाते हैं और सर्प दंश को भगवान का प्रकोप मानते हैं और इस प्रकोप से निजात पाने के लिए लोग इन दिनों अन्य देवी-देवताओं के मंदिर से ज्यादा नाग मंदिरों में जाते हैं। अभी भी गांवों में ज़्यादातर लोग सांप काटने पर श्रद्धावश मंदिर जाते हैं और 90 फीसदी तक लोग ठीक होकर वापस भी आ जाते हैं और 10 फीसदी तक ठीक नहीं हो पाते, उन्हें भगवान की मर्जी मान लेते हैं। शायद हमें यह जानना भी जरूरी है कि हिमाचल में अधिकतर सांप कम जहरीले हैं और उनका दंश जानलेवा नहीं होता और लगभग 10 फीसदी के करीब ही जानलेवा जहरीले सांप होते हैं, जिनका इलाज अगर अस्पताल के जरिए हो तो नतीजा अच्छा हो सकता है । श्रद्धा, विश्वास और ज्ञान सब अपनी-अपनी जगह हैं और लोग इनमें सही समन्वय बैठा रहे हैं।

 आजकल मंदिरों में तो लोग श्रद्धा पूर्वक जाते ही हैं, पर इलाज के लिए  अस्पतालों में बढ़ती भीड़ आमजन में बढ़ते ज्ञान को प्रमाणित करती है। इसके अलावा संसद के मानसून सत्र में महंगाई, कृषि कानून तथा कोरोना जैसे मुद्दों पर सरकार की असफलताओं पर बहस की आशा लगाए बैठे राजनीतिक विश्लेषकों को तब झटका लगा जब वर्तमान सरकार, जो मुद्दे बदलने में महारत हासिल कर चुकी है, ने बड़ी साफगोई से बहस का केंद्र बिंदु देश के ज्वलंत मुद्दों से हटाकर जासूसी कांड बना दिया। इसमें कोई दो राय नहीं कि अपने ही मंत्रियों, विपक्षी नेताओं तथा कुछ जानी-मानी हस्तियों की जासूसी करना देश के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है, पर देश, विपक्ष से कुछ ऐसे ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को चेतावनी की उपेक्षा कर रहा था जिससे आज आम आदमी ग्रसित है। जासूसी की बात की जाए तो सेना में भी जासूसी एक महत्वपूर्ण अंग होता है। देश की सेना अपनी सीमाओं की रक्षा तथा दुश्मन देश पर अपना दबदबा तभी बना सकती है जब उन्हें सीमाओं पर होने वाली हर हरकत तथा दुश्मन की हर नई चाल तथा योजना का पहले ही पता चल सके। भारतीय सेना ही नहीं, बल्कि विश्व की हर सेना तभी ताकतवर बन सकती है जब वह अपनी विरोधी सेना के बारे में सब जानते हैं और यह सब तभी संभव है जब सेना का जासूसी विभाग सक्षम और चालाक होगा। भारतीय सेना की हर कामयाबी में खुफिया विभाग का भी बड़ा योगदान रहा है। मेरा मानना है कि सेना के लिए जासूसी करना तो सही है, पर अपने लोगों पर यह काम लोकतंत्र ही नहीं, मानवता के लिए भी खतरा हो सकता है।

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक


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