किसानों के लिए वानर बने आफत

स्टाफ रिपोर्टर — भुंतर
जिला कुल्लू की रूपी-पार्वती सहित अन्य सभी स्थानों पर वानर सेना के कहर ने किसानों-बागबानों को परेशान कर दिया है। बंदरों के उत्पात के कारण खेतीबाड़ी से कई लोगों का मोह टूट रहा है। लोग सालों से सरकार और वन विभाग से बंदरों के छुटकारे के लिए मिन्नतें मांग रहे हैं, लेकिन किसानों की सुनने वाला अभी तक कोई नहीं निकला है। लिहाजा, बंदर किसानों-बागबानों की फसलों को देखते ही देखते चौपट कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिला कुल्लू की दर्जनों पंचायतों के किसानों-बागबानों को वानर सेना ने खेतों का चौकीदार बना कर रख दिया है। बंदरों से फसलों को बचाने के लिए किसानों-बागबानों के दिन खेतों में ऐसे कट रहे हैं कि ब्रेकफास्ट-लंच को भी वक्त नहीं मिल रहा है। फसल के तैयार होते ही वानर सेना अपना धावा बोल रही है और खेतों को चौपट करने के बाद ही मन मारती है। सेब, अनार, टमाटर जैसी व्यावसायिक फसलों से लेकर गेहूं-मक्की सब इनका भोजन बन रही है। किसानों का कहना है कि क्षेत्र में बंदर सेब, टमाटर से लेकर सभी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोगों के पास भूमि सीमित होने के कारण वे उसे छोड़ तो नहीं सकते, लेकिन बंदरों से फसल को नुकसान न पहुंचे उसके लिए दिन-रात चौकीदारी करनी पड़ती है।

उनके अनुसार अगर आने वाले सालों में इनका समाधान नहीं निकला तो किसानों-बागबानों का मोह ही फसल उगाने से मुड़ जाएगा। किसानों का कहना है कि बंदरों की तादाद जिस तरह से बढ़ रही है, वह चिंताजनक हैं। बंदर इतने निडर हो गए हैं कि वे कुत्तों से भी नहीं डरते, बल्कि बंदरों का झुंड कुत्तों का पीछा करते देखा गया है। और तो और बारिश वाले दिनों में यह सबसे ज्यादा परेशानी बन रहे हैं। उनके अनुसार बंदरों से पार पाने के लिए स्थायी समाधान निकालना आवश्यक है। कुल्लू विकास खंड के तहत मणिकर्ण, दियार, गड़सा, बजौरा, खोखण, मौहल, खड़ीहार, पीज सहित अन्य क्षेत्रों में बंदरों के कारण फसलें तबाह हो रही हैं और किसान बेबस नजर आ रहे हैं। किसानों योगेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह, राजेश कुमार, विनय कुमार, विरेंद्र कुमार, दीपक शर्मा, त्रिलोक चंद आदि का कहना है कि कई बार इस बारे में विभाग और सरकार से मांग की गई है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। उधर पंचायत समिति कुल्लू के उपाध्यक्ष यशपाल डढवाल ने इस बारे में कहा है कि वन विभाग से इस मामले को उठाया जाएगा और बंदरों के समाधान का प्रयास किया जाएगा।