15 हजार आबादी की सेहत रामभरोसे

बीआर शर्मा – यशवंतनगर
पच्छाद क्षेत्र का रासूमांदर क्षेत्र के पांच स्वास्थ्य संस्थानों में डाक्टर के पद बीते कई वर्षों से खाली पड़े हैं। जिससे इस क्षेत्र के करीब 15 हजार लोगों की सेहत रामभरोसे है। लोगों को मामूली बीमारी के इलाज के लिए सोलन अथवा शिमला जाना पड़ता है। सिरमौर जिला में कुल 87 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां कार्यरत हैं, जिसमें से 40 डिस्पेंसरियों में डाक्टर के पद खाली पड़े हैं। रासूमांदर क्षेत्र के जाने माने साहित्यकार विद्यानंद सरैक ने कहा कि सरकार के घर-द्वार पर गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। स्वास्थ्य संस्थानों में रिक्त पड़े डाक्टर व अन्य स्टाफ तथा मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने जानकारी दी कि आयुर्वेदिक औषधालय भुज्जल, ज्ञानकोट, देवठी मझगांव, कलियो पाब तथा पीएचसी कोटी पधोग में सरकार द्वारा पिछले काफी वर्षों से कोई डाक्टर नहीं भेजा है।

यही नहीं पूरे रासूमांदर के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में प्रयोगशाला की सुविधा नहीं है, रोगियों को टेस्ट इत्यादि करवाने के लिए सोलन जाना पड़ता है। जिससे धन व समय की बर्बादी हो रही है। इनका कहना है कि स्टाफ न होने से औषधालयों के भवन भी जर्जर हालत में हो चुके हैं। विद्यानंद सरैक ने कहा कि यदि कोई दुर्घटना अथवा किसी भी आपात स्थिति के दौरान क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि टैंला में एक झोलाछाप डाक्टर द्वारा निजी क्लीनिक खोला गया है जहां पर लोगों को मजबूरन छोटी-मोटी बीमारी के इलाज के लिए जाना पड़ता है। पच्छाद का रासूमांदर बहुत पिछड़ चुका है। विद्यानंद सरैक ने रासूमांदर क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में डाक्टर व भवन की मांग की है। (एचडीएम)

क्या कहते हैं जिला आयुर्वेद अधिकारी डा. राजेंद्र देव
जिला आयुर्वेद अधिकारी नाहन डा. राजेंद्र देव ने बताया कि चिकित्सकों के पदों को भरना सरकार का विशेषाधिकार है। कार्यालय से हर माह लिखित में खाली पदों की सूची भेजी जाती है।

87 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में से 40 में चिकित्सक नहीं
जानकारी के अनुसार जिला में कुल 87 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां कार्यरत हैं। इन में से 40 डिस्पेंसरियों में डाक्टर के पद खाली पड़े हैं। ऐसे में सहज ही स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है।