लंबे समय बाद जनसंपर्क के रूप में उभरा पीआर, डा. समीर कपूर ने बताई अहमियत
नई दिल्ली। वेब 1.0 के दौरान पीआर केवल मीडिया संबंधों के बारे में था, लेकिन अब वेब 2.0 में पीआर जनसंपर्क बन गया है, क्योंकि जनता अब सीधे फर्मों के साथ बातचीत कर सकती है और इसके कारण पीआर पेशेवरों को अपने तरीकों को भी अपडेट करने की आवश्यकता है। यह बात निदेशक उत्तर एड फैक्टर्स पीआर डा. समीर कपूर ने पब्लिक रिलेशंस सोसायटी दिल्ली द्वारा आयोजित डेमिस्टिफाई सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर एक वेबिनार में कही।
उन्होंने कहा कि पीआर मैसेजिंग से लेकर बातचीत को प्रज्ज्वलित करने के लिए विकसित हो रहा है, जो वायरल हो जाता है और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन जाता है। जनसंपर्क में पब्लिक वापस आ गया है, क्योंकि लंबे समय तक जनसंपर्क मुख्य रूप से मीडिया रिलेशंस के लिए अभ्यास था। इसने हमारे राजनेताओं को भी औपचारिक मीडिया को त्यागने के लिए प्रेरित किया है और उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जनता से सीधे बात करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय में मुख्य धारा के मीडिया की प्रासंगिकता के बारे में यह निश्चित रूप से मंथन का समय है और मीडिया जो सीधे और वैध प्रश्न पूछता है, वह निश्चित रूप से प्रासंगिक रहेगा। डिजिटल का उदय पश्चिमी देशों में सैकड़ों साल पुरानी विरासत वाले समाचारपत्र भी डिजिटल प्रारूप में स्थानांतरित होने लगे हैं, ताकि कम रिटर्न और युवाओं को अपनी ग्रीप्प में लाया जा सके।
डा. कपूर ने अखबारों के प्रिंट से िडजिटल में बदलाव के बारे में बात करते हुए कहाकिकोविड के समय में हमने देखा कि कैसे सोशल मीडिया के विकास ने प्रिंट मीडिया के विकास को आगे बढ़ाया। आज कोई भी पत्रकार या सामग्री लेखक बन सकता है। बस आप मुद्दों पर बात करने के लिए अपने स्वयं के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते है।
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