सात साल से प्राइमरी स्कूल में चल रहा डिग्री कालेज

कोटी में ठेकेदार ने अधर में छोड़ा बिल्डिंग का काम, सोलन या शिमला जाने को मजबूर छात्र

सिटी रिपोर्टर-शिमला
शिमला से सटे जुन्गा में डिग्री कालेज कोटी की कक्षाएं बीते सात सालों से प्राथमिक पाठशाला भवन में चल रही है। भवन का निर्माण कर रहे ठेकेदार के काम छोड़कर जाने से कालेज का कार्य अधर में लटक गया है और विभाग मूकदर्शक बनकर बैठा है। अपना भवन न होने से कालेज में साइंस इत्यादि विषय आरंभ नहीं हो सके। क्षेत्र के प्रतिभावान विद्यार्थियों को विज्ञान विषय की पढ़ाई के लिए शिमला अथवा सोलन जाना पड़ता है। वर्तमान में इस कालेज में 150 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में इस कालेज में विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने में काफी दिक्कत पेश आ रही है। बता दें कि वर्ष 2014 में डिग्री कालेज कोटी को संचालित करने के लिए स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। तदोपंरात प्राथमिक पाठशाला का भवन खाली करवा कर कालेज को उसमे शिफ्ट किया गया था। कालेज सूत्रों के अनुसार इस भवन की हालत भी काफी खस्ता हो गई है। गौर रहे कि इस डिग्री कालेज के भवन की आधारशिला पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा 17 मई 2015 को रखी गई थी, जिसके भवन के लिए उनके द्वारा पांच करोड़ की घोषणा की गई थी।

लिहाजा इस कालेज का नक्शा व प्रशासनिक स्वीकृत प्राप्त करने में करीब छह वर्ष लग गए। वहीं, प्रदेश सीपीआईएम के सचिव मंडल सदस्य डा. कुलदीप तंवर ने डिग्री कालेज के भवन निर्माण में हो रहे विलंब बारे प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है। उनका कहना है कि उनके द्वारा क्षेत्र की दस पंचायतों के लोगों के सहयोग से इस कॉलेज को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में खुलवाया गया था, जिसके लिए कई बार आंदोलन भी किए गए थे, ताकि कुसुम्पटी क्षेत्र के गरीब बच्चों को घरद्वार पर उच्च शिक्षा ग्रहण करने के अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के उपरांत प्रदेश में जो डिग्री कालेज खोले गए थे उन सभी कालेज के पास अपने भवन है। उन्होंने बताया कि कालेज भवन का निर्माण कर रहे ठेकेदार बीते काफी महीनों से काम छोड़ कर चले गए हैं और लोक निर्माण विभाग द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग शिमला सर्कल सुरेश कपूर ने बताया कि ठेकेदार को कार्य छोडऩे पर पेनेलटी लगाई जा रही है। यदि ठेकेदार इस कार्य को नहीं करेगा तो उस स्थिति में भवन की रि-टेंडरिंग करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इस भवन पर सात करोड़ रुपए व्यय होंगे, जिसमें आठ ब्लॉक निर्मित किए जाएंगे।