श्री सिद्धिविनायक मंदिर

By: Sep 18th, 2021 12:25 am

मुंबई के प्रभादेवी में स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर देश में स्थित सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 1801 में लक्ष्मण विठू और देऊबाई पाटिल द्वारा करवाया गया। इस मंदिर में गणपति का दर्शन करने सभी धर्म और जाति के लोग आते हैं। इस मंदिर के अंदर एक छोटे मंडप में भगवान गणेश के सिद्धिविनायक रूप की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गई है। सूक्ष्म शिल्पाकारी से परिपूर्ण गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजों पर अष्टविनायक को प्रतिबिंबित किया गया है। जबकि अंदर की छतें सोने की परत से सुसज्जित हैं। गर्भगृह में भगवान गणेश की प्रतिमा अवस्थित है। उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक (लड्डुओं) भरा कटोरा है। गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि मौजूद हैं, जो धन, एश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक हैं। मस्तक पर अपने पिता शिव के समान एक तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार के स्थान पर लिपटा है। सिद्धिविनायक का विग्रह अढ़ाई फुट ऊंचा होता है और यह दो फुट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बना होता है। सिद्धिविनायक मंदिर की ऊपरी मंजिल पर यहां के पुजारियों के रहने की व्यवस्था की गई है।

क्या है सिद्धिविनायक रूप की महत्ता- सिद्घिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है।

गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की संूड दाईं तरफ  मुड़ी होती है, वो सिद्घपीठ से जुड़ी होती है और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी कुपित भी होते हैं। चतुर्भुजी विग्रह सिद्धिविनायक की दूसरी विशेषता यह है कि वह चतुर्भुजी विग्रह है। इस मंदिर में सिर्फ  हिंदू ही नहीं, बल्कि हर धर्म के लोग दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। हालांकि इस मंदिर की न तो महाराष्ट्र के अष्टविनायकों में गिनती होती है और न ही सिद्ध टेक से इसका कोई संबंध है, फिर भी यहां गणपति पूजा का खास महत्त्व है।

सिद्ध पीठ से कम नहीं है महत्त्व- महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सिद्ध टेक के गणपति भी सिद्धिविनायक के नाम से जाने जाते हैं और उनकी गिनती अष्टविनायकों में की जाती है। महाराष्ट्र में गणेश दर्शन के आठ सिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल हैं, जो अष्टविनायक के नाम से प्रसिद्ध हैं,लेकिन अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी इसकी महत्ता किसी सिद्धपीठ से कम नहीं।

कब जाएं सिद्धिविनायक मंदिर- हालांकि इस मंदिर में रोजाना ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन मंगलवार के दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंगलवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि लाइन में चार-पांच घंटे खड़े होने के बाद दर्शन हो पाते हैं। हर साल गणपति पूजा महोत्सव यहां भाद्रपद की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष समारोह पूर्वक मनाया जाता है। इस मंदिर में अंगारकी और संकाष्ठि चतुर्थी के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। भगवान गणेश का हिंदूओं में बहुत अधिक महत्त्व है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाए, तो वह शुभ और फलदायी मानी जाती है।


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