दो दिन हुई भारी बर्फबारी ने छीने दो ट्रैकर्ज

खमींगर ग्लेशियर से लौटे ट्रैकरों ने साझा किया दर्द, हौसला नहीं हारा, फिर से ट्रैकिंग पर आने का भरा दम

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — काजा
पश्चिम बंगाल के ट्रैकरों का दल भारी बर्फबारी के बीच खमींगर ग्लेशियर नहीं चढ़ पाया था। दो दिन तक भारी बर्फबारी होने के कारण पर्वतारोहियों ने अपना बेस कैंप खमींगर ग्लेशियर के नीचे ही बनाया, लेकिन यहां उनके दो साथियों की मौत हो गई। रेस्क्यू टीम करने के बाद काजा पहुंचे पश्चिम बंगाल के ट्रैकरों ने प्रशासन के साथ यह दर्द साझा किया। गौरतलब है कि 15 सिंतबर को बातल से 18 सदस्यीय दल रवाना हुआ है। इसमें छह सदस्य एक शेरपा और 11 पोटर थे। इनका टै्रक बातल, बड़ा शिगरी ग्लेशियर, खमींगर ग्लेशियर तक था। यहां से यूटर्न के साथ उन्हें मणिकर्ण पहुंचना था। खमींगर ग्लेशियर पहुंचने तक यह सात जगह रुके।

बर्फबारी के कारण इन्होंने अपना आगे का सफर जारी नहीं रखा। 24 सितंबर जैसे ही आठवें प्वाइंट पर पहुंचे तो सदस्य संदीप ठाकुराता और भास्कदेव मुखोप्धाय पीछे रह गए थे। ये दोनों सदस्य टैंट तक पहुंच ही नहीं पाए तो शेरपा व एक अन्य पोटर पीछे गए और जिस स्थान पर दोनों रुके हुए थे, वहीं पर टैंट लगा दिया और उन्हें स्लीपिंग बैग के साथ टैंट में ठहरा कर वापस आगे आ गए। 25 सितंबर को तीन पोटर उन दोनों को देखने के लिए करीब सात बजे सुबह गए। लेकिन, जब पहुंचे तो दोनों सदस्यों की मौत हो चुकी थी। तीनों पोटर वापस पहुंचे और दल के अन्य सदस्यों को मृतकों की सूचना दी। फिर दल ने फैसला किया कि स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में सूचित किया जाए और सदस्य अभिजीत के साथ पोटर जीवन को काजा तुरंत रवाना किया गया। इन दोनों को दो दिन काजा पहुंचने में लग गए। 27 सितंबर की सुबह दोनों ने एडीएम काजा के पास इस घटना के बारे में सूचना दी। इसके बाद ही प्रशासन ने आईटीबीपी, डोगरा स्काउट और पोटर का 32 सदस्यीय रेस्क्यू दल का गठन किया और पिन घाटी के काह गांव के लिए रवाना कर दिया। 28 सितंबर को रेस्क्यू दल की एडवांस पार्टी को उक्त सदस्य रास्ते में मिल गए। इनमें से दो सदस्य फोरेस्ट बाइट से ग्रसित थे, जिन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन रेस्क्यू दल के सदस्यों ने कंधों का सहारा लेकर इन्हें काह तक पहुंचाया।

मौका मिला तो फिर करेंगे ट्रैकिंग
अभिजीत व रनोधीर राय ने कहा कि पिछले तीन सालों से यहां पर आ रहे हैं। यह ट्रैक भी काफी अच्छा और रोमांचक था। हम नियमों के मुताबिक ही दल चला रहे थे। ऐसे वक्त में भी वह न डरे और न हिम्मत हारी। मौका मिला तो वह फिर ट्रैकिंग पर आएंगे।