बीएसएफ बॉर्डर पर 50 किमी तक कर सकेगी गिरफ्तारी, गृह मंत्रालय ने बढ़ाया कार्रवाई का दायरा

By: Oct 14th, 2021 12:06 am

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया है और अब बीएसएफ के अधिकारियों को गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्तियां दी गई हैं। बीएसएफ अधिकारी पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में गिरफ्तारी और तलाशी ले सकेंगे। बीएसएफ को सीआरपीसी, पासपोर्ट एक्ट एंड पासपोर्ट एक्ट के तहत ये करवाई करने का अधिकार मिला है। असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में पुलिस की तर्ज पर बीएसएफ को सर्च और अरेस्ट करने का अधिकार मिला है। बीएसएफ के अधिकारी तीनों राज्यों में बांग्लादेश और पाकिस्तान बॉर्डर से 50 किलोमीटर देश के राज्यों में कार्रवाई कर सकेंगे।

इससे पहले यह दायरा 15 किलोमीटर था। इसके अलावा बीएसएफ नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और लद्दाख में भी सर्च और अरेस्ट कर सकेगी। हालांकि इसके साथ ही गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को कम किया गया है और सीमा का विस्तार 80 किमी से कम होकर 50 किमी हो गया है, जबकि राजस्थान में दायरा क्षेत्र पहले की तरह ही 50 किलोमीटर रखा गया है। पांच पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी सीमा निर्धारित नहीं है।

पंजाब में केंद्र के निर्णय पर सियासी बवाल

पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बॉर्डर सीमा क्षेत्र के 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक किए जाने को लेकर कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ट्वीट करके सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने पूछा कि क्या उन्होंने पंजाब के 50000 स्क्वायर किलोमीटर के इलाके में से करीब 25000 स्केयर किलोमीटर केंद्र सरकार को सौंप दिया है। अब बीएसएफ इस इलाके में रहेगी, तो पंजाब पुलिस आखिरकार क्या करेगी। क्या यही राज्यों को स्वायत्तता देने का तरीका है। वहीं अकाली दल ने केंद्र सरकार के इस कदम को फेडलेरिज्म पर हमला करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसा करके आधा पंजाब बीएसएफ के हवाले कर दिया है और बीएसएफ को चेकिंग करने और मामले दर्ज करने की भी छूट दे दी है। आम आदमी पार्टी ने भी फैसले की आलोचना करते हुए इसे तुगलकी फरमान करार दिया है और केंद्र सरकार के इस नए आदेश को राज्यों के अधिकारों को खत्म करने का एक और प्रयास करार दिया है।


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