देव समागम, दो साल बाद गले मिले देवता

By: Oct 21st, 2021 12:57 am

पांचवीं जलेब यात्रा में सबसे ज्यादा देवताओं ने लिया भाग, ढोल-नगाड़ों के बीच देवताओं संग नाचे श्रद्धालु

मोहर सिंह पुजारी — कुल्लू
देव समागम कुल्लू में जब दशहरा उत्सव के छठे दिन दो वर्ष बाद देवी-देवता गले मिले, श्रद्धालु इस देव मिलन के साक्षी बने। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के छठे दिन बाद उत्सव में विराजमान देवी-देवताओं का भव्य देव मिलन हुआ। दिनभर यह देव मिलन आकर्षण का केंद्र रहा, जहां देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ जी के दरबार में पहुंचकर हाजिरी भरी, शक्तियां अर्जित कीं, वहीं दो वर्ष बाद हुए देव मिलन में माहौल को इतना भक्तिमय बनाया कि लोग भी प्रसन्न हो गए। देवी-देवता आपस में देव मिलन कर खुश हुए वहीं, मानस ने भी देव मिलन का आनंद उठाया। यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के पांचवें दिन सचमुच शाही अंदाज में भगवान नरसिंह की भी जलेब यात्रा निकली। हालांकि यह जलेब यात्रा पिछले दिनों से थोड़ी देरी से निकली, लेकिन यात्रा का नजारा इतना अलौकिक और अद्भुत था कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में आए लोगों ने इस नजारे को अपनी आंखों से ही नहीं, बल्कि अपने मोबाइल फोन में कैद कर लिया। नरसिंह भगवान की जलेब यात्रा में सबसे ज्यादा देवी-देवता पांचवें दिन विराजमान हुए।

भगवान नरसिंह ने जहां इतने सारे देवी-देवताओं के साथ यात्रा कर सुख-शांति बनाए रखी। बता दें कि पांचवीं जलेब यात्रा में देवता लक्ष्मी नारायण, हवाई के देवता जमदग्नि ऋषि, पीज के जमदग्नि ऋषि, वुआई के देवता महावीर, कमांद के देवता कैलावीर, लौट के देवता वीर कैला, फलाणी के पांचवीर और हुरगू नारायण आदि देवी-देवताओं ने भाग लिया। राजा की चानणी से जलेब यात्रा पांच बजे के आसपास शुरू हुई। जैसे ही जलेब यात्रा अस्पताल रोड़ होकर पहुंची तो देवी-देवताओं के बजंतरियों ने वाद्य यंत्रों में नाटी की धुनें छेड़ीं। इस बीच शहनाई वादकों ने कुल्लवी गीतों की स्वर लहरियां छोड़ीं। वहीं, जलेब यात्रा में साथ चल रहे देवलुओं और भक्तों ने भी कुल्लवी गीत पूरी जलेब में गाए, जिसमें रेसी वे धिन्नी पार्टी, काफले पौके वोदिए आदि गीत प्रस्तुत किए। यह माहौल देवमय होने के साथ-साथ देवलुओं के लिए आनंदित करने वाला रहा। (एचडीएम)

देवमय हुआ दशहरा उत्सव का नजारा

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के छठे दिन देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में हाजिरी भर कर शक्तियां अर्जित कीं, वहीं जैसे ही ढोल, नगाड़े, नरसिगें, करनाल और शहनाई की धुनें बजीं तो पहले देवता नाचनेे लगे। इसके बाद मानस भी नाचने से अपने कदमों को रोक नहीं पाया। दिनभर लोग देवी-देवताओं के साथ नाचते दिखे। लिहाजा, इस अद्भुत, अनोखे और अनूठे देव मिलन से उत्सव का नजारा देवमय हो गया।


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