लड़की हूं…लड़ सकती हूं

By: Oct 21st, 2021 12:05 am

यह नारा उप्र में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिया है। इसी के साथ उन्होंने ऐलान किया है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देगी। प्रियंका का यकीन है कि ‘महिला चालीसा’ से नफरत और धर्म की राजनीति का बोलबाला समाप्त हो सकता है। कांग्रेस महासचिव की यह घोषणा फिलहाल उप्र तक ही सीमित है। उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात, गोवा आदि राज्यों में भी चुनाव होने हैं। वहां ‘महिला आरक्षण’ लागू किया जाएगा या नहीं, अभी यह स्पष्ट नहीं है। दरअसल उप्र में महिलाओं को लामबंद करके प्रियंका कांग्रेस की खोई ज़मीन दोबारा हासिल करना चाहती हैं। ऐसा संभव नहीं लगता, क्योंकि उप्र में कांग्रेस संगठन छिन्न-भिन्न है और महिलाएं भी विभाजित हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मात्र 2 महिलाएं ही विधायक बन पाई थीं। कुल विधायकों की संख्या ही मात्र 7 थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 51 फीसदी महिलाओं ने भाजपा और मात्र 5 फीसदी ने कांग्रेस के पक्ष में वोट डाले थे। उप्र विधानसभा में कुल 41 महिला विधायक जीत कर आई थीं। यह 10 फीसदी के बराबर था। बेशक दो साल मंे चुनावी परिदृश्य तो बदला है, लेकिन ध्रुवीकरण 360 डिग्री पर होगा, इसके कोई आसार और संकेत नहीं हैं।

अलबत्ता प्रियंका गांधी का यह सकारात्मक राजनीतिक प्रयास है। महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा राजनीति में लाने और औसत नीतियों में बदलाव लाने की सोच है। देश में कुल 4120 विधायक हैं, लेकिन उनमें 334 ही महिलाएं हैं। औसत समझा जा सकता है। मौजूदा लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं और केंद्रीय कैबिनेट में भी 11 महिलाओं को स्थान दिया गया है। यकीनन यह अभूतपूर्व प्रयास है, लेकिन 33 फीसदी महिला आरक्षण का जो बिल 1996 में संसद में पेश किया गया था, वह आज अप्रासंगिक लगता है, क्योंकि वह बिल कहां धूल-धूसरित हो रहा है, हम नहीं जानते। यह मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति के परिदृश्य से ही गायब है। मोदी सरकार के अभी तक के कार्यकाल में महिला आरक्षण बिल एक बार भी संसद में पेश नहीं किया गया। प्रियंका की घोषणा परिवर्तनकारी नहीं है। उनके नेतृत्व में महिला उम्मीदवारों का चयन किस योग्यता और पहचान के आधार पर होगा, यह देखना भी शेष है। कितनी दलित, पिछड़ी, गरीब, मुस्लिम, ओबीसी और पीडि़त महिलाओं को टिकट देकर राजनीति के सार्वजनिक जीवन में आने और सशक्तीकरण का मौका मिलेगा, इसका विश्लेषण भी टिकट वितरण के बाद ही किया जा सकता है, लेकिन प्रियंका ने एक नए प्रयोग पर बहस का सूत्रपात जरूर किया है।

कांग्रेस की संभावित महिला उम्मीदवार चुनाव में हारें या अपनी जमानत जब्त करा लें, यह तो जनादेश का निष्कर्ष होगा। यह उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, लेकिन इतनी महिलाएं सार्वजनिक जीवन में उतरने की पहल जरूर कर सकेंगी। उनके साथ महिला काडर का संगठन भी तैयार किया जा सकेगा। इस तरह महिलाओं पर अत्याचार करने या उन्हें अपनी ‘हवस’ का शिकार बनाने की बलात् कोशिशें जरूर कम होंगी। संसद ने 72-73वां संविधान संशोधन पारित कर जिस पंचायती राज व्यवस्था का आगाज किया था और महिलाओं के सार्वजनिक जीवन में आने का रास्ता तैयार किया था, उसके नतीजतन ही आज 10 लाख से अधिक महिलाएं पंच, सरपंच, ब्लॉक प्रतिनिधि, पार्षद आदि हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में यह तथ्य सामने आया था कि महिला-पुरुष वोट लगभग बराबर डाले गए थे। बल्कि करीब 15 राज्यों में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया था। अभी हम आधी आबादी की आधी चुनावी भागीदारी के संदर्भ में कुछ पिछड़े हुए हैं। उप्र में कांग्रेस का नया नारा ‘लड़की हूं….लड़ सकती हूं’ आकर्षक और प्रभावी लगता है, लेकिन ईमानदारी और गंभीरता कांग्रेस को साबित करनी है। यह सिर्फ चुनावी घोषणा या नाटकबाजी ही न साबित हो, यह प्रयास भी प्रियंका को ही करने हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App