महंगाई ने निकाला दिवाली से पहले लोगों का ‘दिवाला

By: Oct 19th, 2021 12:45 am

पेट्रोल 101 रुपए तो डीजल पहुंचा के 91 पार; खाद्य तेलों और दालों में भी लगी आग, 1000 के करीब पहुंचा गैस सिलेंडर

नवनीत सोनी—बड़सर
लगातार बढ़ती महंगाई के कारण एक तरफ जहां लोगों की रसोई का जायका बिगड़ चुका है वहीं दूसरी तरफ वाहन चालक भी असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं कि वे इन्हें खड़ा करें या फिर कर्ज लेकर इनमें पेट्रोल-डीजल भरवाएं। कोरोना काल के कारण लोगों की आर्थिकी पर गंभीर चोट लगी है, वहीं लगातार बढ़ती महंगाई के कारण आम लोगों की हालत और भी पतली हो चुकी है। लोगों को उम्मीद थी कि सरकार इस संकट के समय में आम लोगों के लिए महंगाई पर अंकुश लगाकर रखेगी, लेकिन अंकुश तो दूर की बात है लगातार बढ़ती महंगाई आम लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। पेट्रोल-डीजल के दाम रोज नया रिकार्ड बनाते हुए 101 और 91 रुपए तक पहुंच चुके हैं, जबकि खाद्य तेल का दाम 160 से लेकर 250 तक हो चुका है। इसी तरह दालों व खेतों में प्रयोग होने वाली खाद के दाम भी आसमान छूने को बेताव हैं। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए फल खाना जरूरी है, लेकिन ये आम लोगों की पहुंच से बाहर हो चुके हैं। खास बात यह है कि उपमंडल बड़सर के सब्जी के रिटेल दामों व जिला मुख्यालय के दामों में दिन-रात का अंतर देखा जाता है, लेकिन प्रशासन इस संदर्भ में मूक दर्शक बना रहता है और आम लोग महंगाई की चक्की में और पिसते जा रहे हैं।

इसके अलावा पेट्रोलियम पदार्थों के दाम तीन मई के बाद से लगातार बढ़ रहे हैं। तीन मई, 2021 को पेट्रोल 86 रुपए 80 पैसे व डीजल 78 रुपए 89 पैसे था, जबकि आज पेट्रोल 101 तो डीजल 91 रुपए पर पहुंच चुका है। चिंता की बात ये है कि पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में बढ़ोतरी का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। व्यापारियों व आम लोगों का कहना है कि कोरोना काल के बाद सबकी आमदनी कम या बिलकुल खत्म हो गई है, लेकिन पेट्रोल-डीजल, राशन का खर्च महंगाई के कारण बढ़ता जा रहा है, जबकि बिजली बिल, मकान, दुकान का किराया, बच्चों की स्कूल फीस, दवाई खर्च की तलवार सिर पर लटकी रहती है। सरकार को आम लोगों व व्यापारियों के लिए कुछ राहत की घोषणा करनी चाहिए तथा महंगाई पर भी अंकुश लगाना चाहिए। (एचडीएम)

हर रोज बढ़ रहे वस्तुओं के दाम

बड़सर विधायक इंद्रदत्त लखनपाल का कहना है कि केंद्र सरकार महंगाई के मामले में नाकाम साबित हो चुकी है। कोरोना के कारण परेशान लोगों की मदद करने के स्थान पर रोजमर्रा इस्तेमाल की चीजों के दाम हर रोज बढ़ते जा रहे हैं। सरकार को विवेक से काम लेते हुए लोगों को राहत देने बारे सोचना चाहिए।

एक साल में इतने बढ़ गए दाम…
पिछले वर्ष 130 रुपए बिकने वाला सरसों का तेल 250 रुपए, वनस्पति घी 90 से बढ़कर 150, रिफाइंड तेल 90 से 150, चाय पत्ती 250 से बढ़कर 400 के भाव से बिक रहे हैं, जबकि राजमाह 110 से बढ़कर 140, काबुली चने 90 से बढ़कर 120 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। इसके अलावा दुधारू पशुओं के लिए इस्तेमाल होने वाले बिनोले 1600 से बढ़कर 2300 रुपए हो चुके हैं। इसका सीधा असर दूध के दामों पर पड़ता दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि आज गांवों में बिकने वाले दूध के दाम 70 से 80 रुपए तक पहुंच रहे हैं। घरेलू रसोई गैस सिलेंडर ने 942 पर पहुंचकर रही सही कसर पूरी कर दी है।


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