मणिबंध शक्तिपीठ

By: Oct 9th, 2021 12:21 am

देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा सप्तशती और तंत्रचूड़ामणि में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारणतः 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है।

कैसे बने ये शक्तिपीठ – धार्मिक कथाओं के अनुसार जब माता सती अपने पिता के यज्ञ में बिना निमंत्रण के पहंुच गई और वहां पर  पिता के द्वारा भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पाई और यज्ञ कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी, इससे क्रोध में आए भगवान शिव माता के मृत शरीर को कंधे पर लेकर महातांडव करने लगे। इससे ब्रह्मांड के विनाश का खतरा पैदा हो गया। ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के शव को अपने चक्र से टुकड़ों में काट दिया। जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए हैं। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं।  मणिवेदिका शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिंदू धर्म पुराणों के अनुसार ये शक्तिपीठ अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाए।  देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

राजस्थान में अजमेर से 11 किलोमीटर दूर पुष्कर एक महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल है। पुष्कर सरोवर के एक ओर पर्वत की चोटी पर स्थित है सावित्री मंदिर, जिसमें मां की आभायुक्त, तेजस्वी प्रतिमा है तथा दूसरी ओर स्थित है गायत्री मंदिर और यही शक्तिपीठ है। जहां माता सती के ‘मणिबंध (कलाइयों) का पतन हुआ था। यहां की सती ‘गायत्री’ तथा भैरव ‘शर्वानंद’ हैं। मान्यता है कि कार्तिक मास में इस शक्तिपीठ का दर्शन-पूजन करने के लिए देवता भी यहां आते हैं। इस शक्तिपीठ में नवरात्र तथा अन्य उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। इस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। अजमेर में इसके अलावा शक्ति के प्रमुख आराध्य मंदिरों में चामुंडा माता मंदिर, नौसर माता मंदिर, रामगंज और चांदबावड़ी स्थित काली माता मंदिर,  अंबा माता मंदिर और आशापुरा माता मंदिर प्रमुख हैं।


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