सडऩे की कगार पर धान, त्योड़ा मंडी में हांफा सिस्टम

By: Oct 21st, 2021 12:56 am

धान की सफाई को महज पांच पंखे, उसमें भी दो खराब, लेबर कम होने से महज 18 किसानों से खरीदी गई फसल
पंकज शर्मा, सुनील कुमार
इंदौरा-मीलवां
इंदौरा के मंड क्षेत्र में भारतीय खाद्य निगम द्वारा किसानों की धान की फसल की खरीद के लिए त्योड़ा में मंडी खोली गई थी, लेकिन इस मंडी में अधिकारियों और ठेकेदार ढीले रवैया के कारण फसल सडऩे की कगार पर आ पहुंची है। किसान यहां अपनी फसल खेतों से काटकर सरकार द्वारा जारी किए गए पोटल में रजिस्टर करने के बाद मंडी में पहुंच रहा है, लेकिन मंडी में जिस ठेकेदार को धान की सफाई का ठेका दिया गया है, उसकी लेबर कम होने के कारण अभी तक 18 तक पंजीकृत किसानों की ही फसल मंडी में खरीद हो पाई है। इस विषय पर मंडी में किसानों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एपीएमसी द्वारा कुल पांच पंखे धान की सफाई के लिए उपलब्ध करवाए गए थे, लेकिन उनमें से भी तीन ही पंखे सही रूप से चल पा रहे हैं, जबकि मंडी में आ रही फसल के हिसाब से यहां कम से कम दस पंखे धान की सफाई के लिए होने चाहिए थे। किसानों का कहना ही कि जब भी हम किसी अधिकारी से इस विषय पर बात करते हैं, तो वह मात्र हमें आश्वासन देकर इस बात को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं और वहीं दूसरी तरफ हमारी प्रदेश सरकार चुनावों में व्यस्त है।

एपीएमसी कांगड़ा के सचिव राज कुमार के बोल

एपीएमसी कांगड़ा के सचिव राज कुमार से बात हुई तो उन्होंने कहा कि त्योड़ा मंडी में कुल पांच पंखे उपलब्ध करवाए गए हैं और वह सभी ठीक हैं और यह पंखे एफसीआई के कहने पर ही लगाए गए हैं। यदि एफसीआई हमें ओर पंखे लगाने बारे लिखित रूप में कहती है, तो हम ओर पंखे धान सफाई के लिए उपलब्ध करवा सकते हैं। अब प्रशन यह उठता है कि किसानों के अनुसार मंडी में तो पंखे खराब हैं और तीन पंखे ठीक चल रहे है, परंतु एपीएमसी के अधिकारी इस बात को मानने को तैयार ही नहीं है, जो कि एक चिंता का विषय है।

मुख्यमंत्री से आग्रह

उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से यह अनुरोध है कि किसानों की फसल की हो रही दुर्दशा की ओर ध्यान दें, नहीं तो किसान की छह माह की तैयार की हुई फसल मंडी तक पहुंचने से पहले खेतों में ही खराब हो जाएगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से यह आग्रह है कि धान खरीद केंद्र से संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को इन केंद्रों में चल रही कमियों को दुरुस्त करने बारे सख्त से सख्त निर्देश जारी करें कि किसानों की धान की फसल की खरीद समय पर
हो सके।

बीज से लेकर थ्रेशिंग तक महंगाई
धान का बीज भी इस बार काफी महंगा हुआ है। इसी तरह खाद, छिड़काव की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। कटाई और थे्रशिंग भी काफी महंगी हुई है। किसानों को ये फसलें भारी दामों पर पड़ रही हैं। किसानों का कहना है कि यही हाल रहा तो आने वाले समय में उन्हें खेती छोडऩे पर मजबूर होना पड़ेगा। कुल मिलाकर खेती महंगी हो गई है। सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।


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