पिहोवा मंडी में पानी में डूबी धान की बोरियां, खुले आसमान के नीचे रखी हैं पांच लाख बोरियां

By: Oct 18th, 2021 12:06 am

किसानों की मेहनत पर कुदरत की मार, खुले आसमान के नीचे रखी हैं पांच लाख बोरियां

पिहोवा, 17 अक्टूबर (मुकेश डोलिया)

पिहोवा की अनाज मंडी में खुले आसमान के नीचे लगभग पांच लाख बोरियों पर पानी की मार पड़ी है। जैसे-जैसे धान का सीजन यौवन पर आया, किसान भी अपने धान को भरकर मंडी की ओर पहुंचने लगा। प्रशासन भी दिन रात एक कर किसानों की धान की फसल को जल्द समेटना चाहता था और उसके साथ-साथ आढ़ती भी इसमें बराबर की भागीदारी कर रहे थे, अब रविवार की बारिश ने किसानों को और परेशान व चिंतित कर दिया है। सारसा गांव के एक किसान ने बताया कि कभी खरीद में देरी, तो नमी की मात्रा ज्यादा की बात और अब रविवार को हुई बेमौसमी बरसात ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया। मंडी में धान को रखने की उचित व्यवस्था न होने के कारण उन्हें हर साल समस्या आती है। किसानों का कहना है कि बरसात व तेज हवाओं से फसल खराब हो जाने के चलते बुआई से लेकर कटाई तक लगने वाली लागत भी नहीं निकल पाएगी और भीगी हुई फसल के दाम भी अच्छे नहीं मिलेंगे।

मंडी में भी किसानों की धान बारिश की भेंट चढ़ रही है। दूसरी ओर मंडी के प्रधान नंद लाल सिंगला ने बताया कि किसानों के गतिरोध के बाद अब स्थिति धीरे.धीरे सामान्य होने लगी थी और सरकार और किसान भी दोनों एक दूसरे से संतुष्ट हैं, लेकिन कुदरती मार ने किसान की कमर तोड़ दी है। पहले ही किसान सरकार से अपने 3 किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ लगातार संघर्षरत है और अब यह धान की फसल डूबने से लगभग 5 लाख धान की बोरियां खुले आसमान के नीचे पड़ी हैं, अगर 2 दिन मौसम साफ न हुआ तो इन धान की गीली बोरियों में अंकुर फूटने शुरू हो जाएंगे। खुले आसमान के नीचे पड़ा धान किसानों की व आढ़तियों की चिंता का बहुत बड़ा कारण है। किसानों ने बताया कि धान सीजन में उनका इसमें करीब 30 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आया था। हालांकि बीज बाजार से नहीं खरीदा था। उनकी फसल बारिश में खराब हो रही है। किसानों ने बताया कि बारिश के कारण धान की फसल भीगने से उसकी चमक चली जाती है। जबकि बहुत से किसानों ने त्रिपाल व पल्ली से इसे ढकने का काम किया है, परंतु मंडी की सीवरेज व्यवस्था ठप होने के कारण मंडी में जगह-जगह पानी खड़ा हो गया है जिससे धान की बोरियां डूब गईं।


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