असिस्टेंट प्रोफेसर को पीएचडी जरूरी नहीं, भर्ती के लिए यूजीसी ने अभ्यर्थियों को दी राहत

By: Oct 14th, 2021 12:10 am

 जुलाई 2023 तक अनिवार्यता हटी

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

विश्वविद्यालयों के विभागों और कालेजों में सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्यता को दो साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) इस बारे में अधिसूचना जारी की है। इसमें पीएचडी उपाधि की अनिवार्य अर्हता की तारीख को पहली जुलाई 2021 से बढ़ाकर पहली जुलाई 2023 कर दिया गया है। यानी इस दौरान होने वाली सहायक प्रोफेसर की सीधी भर्ती के लिए अनिवार्य योग्यता के रूप में पीएचडी की अनिवार्य नहीं होगी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अन्य शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता तथा उच्चतर शिक्षा में मानकों के रख-रखाव के लिए इस तिथि को अब बढ़ा दिया है। गौर रहे कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश भर के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए पीएचडी और यूजीसी नेट दोनों को अनिवार्य कर दिया है।

आगामी सत्र 2021-22 से इस नियम को लागू करने की बात भी कही गई थी जिससे वे अभ्यर्थी, जो नेट पास थे, लेकिन उनके पास पीएचडी की डिग्री न होने के चलते अब वे असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए पात्र नहीं थे। यूजीसी के इस फैसले से हजारों छात्रों को बड़ी राहत मिली है। इससे पहले सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए यूजीसी नेट पास होना या फिर पीएचडी की डिग्री होना अनिवार्य थी। शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने 2018 में ही इस नियम को बना दिया था लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया था, लेकिन इस वर्ष इसको लागू करने की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई थी। इसमें साफ कहा गया था कि अब पीएचडी की डिग्री पूरी किए बिना नियुक्ति नहीं होगी, लेकिन इसमें अब छात्रों को कुछ और राहत दी गई है।

पहले पीएचडी और नेट कर दिए थे अनिवार्य
अभी तक जो अभ्यर्थी पीएचडी कर लेता था, उसे नेट पास करना जरूरी नहीं था। वहीं, जो अभ्यर्थी नेट पास कर लेते थे, वे बिना पीएचडी के भी सहायक प्रोफेसर की बन जाते थे, लेकिन अब पीएचडी और यूजीसी नेट दोनों को अनिवार्य कर दिया गया है। इस छूट को अब 2023 तक बढ़ा दिया है।


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