हर बार बैठक से अधिकारी गायब

ऊना में पंचायत समिति की बैठकों से किनारा कर रहे गणमान्य, दूसरी बार भी कई अधिकारी रहे गैरहाजिर, सदस्य खफा

नगर संवाददाता- ऊना
जिला ऊना के कई अधिकारी पंचायत समिति की बैठकों में भाग लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हंै। पंचायत समिति की लगातार दूसरी बैठक से कई विभागों के अधिकारियों ने किनारा रखा। हालांकि पंचायत समिति सदस्यों ने काफी समय तक अधिकारियों को फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन न ही अधिकारी आए और न ही इन्होंने फोन्स उठाना बेहतर समझा। अधिकारियों के इस व्यवहार को देखते हुए पंचायत समिति सदस्यों ने जनता के साथ मिलकर इन अधिकारियों के कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन की चेतावदी दी है।

बताते चले कि 26 अक्तूबर को पंचायत समिति की बैठक डीआरडीए हॉल में रखी गई थी, लेकिन अधिकारियों के न आने के कारण बैठक को स्थगित करना पड़ा और बैठक नौ नवंबर को तय की गई। करीब 15 दिन बाद रखी बैठक में भी कुछ अधिकारी तो पहुंचे, लेकिन लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग व वन विभाग के अधिकारी नदारद रहे। जबकि बिजली बोर्ड के अधिकारी भी देरी से पहुंचे। विभागीय अधिकारियों के न आने के चलते कई फोन भी किए गए, लेकिन अधिकारी नहीं पहुंच पाए।

इसके चलते जरूरी मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई। पंचायत समिति सदस्यों का आरोप है कि ग्रामीण क्षेत्रों के कई विकास कार्यों की रूपरेखाएं विभागों को पिछली बैठकों के दौरान सौंपी गई हैं, लेकिन हालत ऐसी है कि इन समस्याओं का समाधान तो दूर अधिकारियों के पास इन बैठकों में आने तक का समय नहीं है। ऐसे मेें विकास के कार्य अधर में लटके हुए हैं। उन्होंने कहा कि हर बैठक में अधिकारियों के बदल-बदल कर आने के चलते भी काफी दिक्कत पेश आ रही है। हर बैठक में नए अधिकारियों को पुरानी चर्चा के बारे में बताना पड़ता है, जिसके चलते नए कार्यों पर चर्चा तक नहीं हो पाती।

दूसरी बैठक में भी नहीं पहुंचे कई अधिकारी

बीडीओ ऊना रमनवीर ने कहा कि पंचायत समिति की बैठक में अधिकारियों के न पहुंचने के चलते पहली बैठक स्थगित करनी पड़ी थी। इसके चलते आज पुन: बैठक रखी गई थी, लेकिन कुछ अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान कई मसलों पर चर्चा की गई।

राजनीतिक भेदभाव के चलते लटका रहे काम

पंचायत समिति ऊना के अध्यक्ष यशपाल बैठकों में नहीं आने वाले अधिकारियों का यह रवैया जनता के प्रति न सिर्फ उदासीन है, बल्कि बेहद नकारात्मक है। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों के अधिकारी राजनीतिक भेदभाव के चलते उनके काम को लटका रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि जल्द अधिकारियों ने अपने रैवये को नहीं छोड़ा तो कार्यालय के बाहर धरना देने पर मजबूर होना पड़ेगा।