रोहडू के किसानों को ‘प्लांट जीनोम सेवियर अवार्ड’

By: Nov 9th, 2021 12:06 am

पौधों की किस्मों के संरक्षण और विकास में उनके योगदान हेतु दिए जाने वाले भारत के सर्वोच्च पुरस्कार पर कब्जा

जयदीप रिहान—पालमपुर

पौधों की किस्मों के संरक्षण और विकास में उनके योगदान हेतु किसानों को दिए जाने वाला भारत का सर्वोच्च पुरस्कार रोहड़ू (शिमला) के लाल चावल उत्पादक किसानों ने अपने नाम किया है। ‘पौध किस्म संरक्षण व किसान अधिकार प्राधिकरण’ के अध्यक्ष ने कृषि विश्वविद्यालय को लिखे पत्र में पुष्टि की है कि लाल चावल छोहार्टू उगाने वाले किसानों को 11 नवंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा ‘प्लांट जीनोम सेवियर अवार्ड’ प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार में दस लाख रुपए का नकद, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाएगा। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सभी प्रकार का वैज्ञानिक डेटा एकत्र करने के बाद पारंपरिक छोहार्टू लाल चावल की किस्म उगाने वाले किसानों की भारत सरकार के ‘पौध किस्म संरक्षण व किसान अधिकार प्राधिकरण’ के पास पंजीकृत करवाने में मदद की थी।

विश्वविद्यालय ने लाल चावल उगाने वाले किसानों की एक सोसायटी बनाने में भी मद्द की क्योंकि यह पुरस्कार केवल ‘कृषक सहकारी सभाओं’ को ही दिया जाता है। शिमला जिला के रोहड़ू उपमंडल के छोहार्टू घाटी के पेजा, मसली, जंगला, दबोली व कलोटी इत्यादि गांवों में लगभग एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लाल चावल की खेती की जाती है। 1300 से 2100 मीटर ऊंचाई तक पब्बर नदी के दोनों किनारों पर इसकी खेती की जाती है और इसे ‘जैपोनिका लाल चावल’ के तहत वर्गीकृत किया गया है। पारंपरिक लाल चावल छोहार्टू की बाहरी परत लाल होती है और यह बाजार में उत्पादक को प्रीमियम मूल्य दिलाता है और इसने प्रदेश के स्थानीय उत्पादों में उत्कृष्ट स्थान हासिल किया है। (एचडीएम)

किसानों का बढ़ा हौसला

कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने बताया कि पौधों की किस्मों के संरक्षण ्और विकास में उनके योगदान हेतु किसानों को दिया जाने वाला यह भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है। इसी तरह कुछ वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चंबा जिला के भेडल पंचायत के किसानों को मक्की की हाछी (सफेद), रेटी (लाल) और चितकुरी पॉपकॉर्न की पारंपरिक किस्म के संरक्षण हेतु वहां के किसानों को ‘प्लांट जीनोम सेवियर कम्युनिटी अवार्ड-2019 दिलवाने में भी मदद की थी।


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