किसान आंदोलन में कोई मौत ही नहीं, तो मुआवजा कैसा, कृषि मंत्री तोमर का लोकसभा में जवाब

By: Dec 2nd, 2021 12:12 am

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का लोकसभा में जवाब, सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने बुधवार को यह स्पष्ट कर दिया है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ  बीते एक साल से जारी किसान आंदोलन में किसी किसान की मौत नहीं हुई है। उसने कहा है कि आंदोलन में मरने वाले किसानों का रिकार्ड उसके पास नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में एक लिखित जवाब ने कहा कि कृषि मंत्रालय के पास किसान आंदोलन में किसी किसान की मौत का रिकार्ड नहीं है। ऐसे में आंदोलन में मरने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देने का सवाल ही नहीं उठता। लोकसभा में कृषि मंत्री से सवाल पूछा गया था कि सरकार के पास कोई ऐसा आंकड़ा है कि आंदोलन में कितने किसानों की मौत हुई है और सरकार आंदोलन में मरने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देगी। अगर ऐसा है, तो विस्तृत जानकारी दें और अगर ऐसा नहीं है, तो सरकार वजह बताए।

उधर, सरकार के जवाब पर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह किसानों की बेइज्जती है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ  आंदोलन के दौरान 700 किसानों ने जान गंवाई है। फिर सरकार कैसे कहती है कि उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। खड़गे ने साथ ही कोरोना मौतों को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पास 700 लोगों की मौत का आंकड़ा नहीं है, तो वह कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों का आंकड़ा कैसे एकत्र कर पाई। पिछले दो साल में कोविड-19 के कारण 50 लाख लोगों की मौत हुई है, लेकिन सरकार के आंकड़े के अनुसार देश में केवल चार लाख लोगों की ही मौत हुई है।

कृषि कानूनों की वापसी पर राष्ट्रपति की भी मुहर

तीनों कृषि कानूनों की वापसी वाले बिल पर बुधवार को राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए, जिसके बाद ये कानून रद्द हो गए हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा ने कृषि कानून को वापस लेने वाले बिल को मंजूरी दी थी।

चार को तय होगा आंदोलन का भविष्य

नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की बुधवार को सिंघु बार्डर पर होने वाली बैठक स्थगित कर दी गई। किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि किसान संगठनों की मुख्य बैठक चार दिसंबर को होनी है। उसी में किसान आंदोलन का भविष्य तय होगा। एमएसपी पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने जो पांच नाम मांगे हैं, ये नाम भी चार दिसंबर की बैठक में तय किए जाएंगे। उन्होंने साथ ही जोड़ा कि जब तक किसानों की सभी मांगों का सामाधान नहीं होता, यह आंदोलन चलता रहेगा।


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