विपक्ष के तेवर देख सरकार ने बदली रणनीति

By: Dec 3rd, 2021 12:01 am

भाजपा विधायकों को शीतकालीन सत्र में ज्यादा बिजनेस लगाने को कहा सवालों के अलावा सरकार के बड़े फैसलों पर चर्चा लाएंगे एमएलए

राज्य ब्यूरो प्रमुख—शिमला

हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पूर्व भाजपा सरकार ने भी अपनी रणनीति बदली है। इस बार सत्तापक्ष के विधायक भी आक्रामक होंगे और ईंट का जवाब पत्थर से देने वाली रणनीति पर काम करेंगे। इसकी वजह उपचुनाव में चार सीटें जीतने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक दल में आई नई जान है। हाल ही में हुई विधायक दल की बैठक में भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भाजपा विधायकों को निर्देश दिए थे कि वह न सिर्फ ज्यादा प्रश्न लगाएं बल्कि सरकार के बड़े फैसलों पर सदन में चर्चा भी विभिन्न नियमों के तहत मांगें। इस कारण सरकार को अपने काम रिकार्ड पर लाने में मदद मिलेगी। सरकार को लग रहा है कि आक्रामक विपक्ष इस बार सदन के भीतर रहने के बजाय वाकआउट और धरना-प्रदर्शन पर ज्यादा फोकस करेगा। इसलिए यदि सदन से विपक्ष चला जाए और सत्ता पक्ष का भी बिजनेस न हो तो फिर सदन स्थगित करना पड़ता है।

इस स्थिति से बचने के लिए भाजपा विधायकों को ज्यादा सवाल लगाने और अन्य तरह की चर्चाएं लाने के लिए कहा गया है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र दस से 15 दिसंबर को धर्मशाला के तपोवन में होगा और इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार तैयारियों का जायजा लेने पहले ही धर्मशाला में हैं। इस सत्र के लिए अभी भी विधायकों की तरफ से सवाल आ रहे हैं और अब तक 400 से ज्यादा सवाल विभागों में जवाब के लिए जा चुके हैं। हालांकि अब भी अधिकांश सवाल विपक्ष के विधायकों के ही सामने आए हैं। विपक्षी दल कांग्रेस हाल ही में उपचनाव में चार सीटें जीती हैं और इसमें मंडी संसदीय सीट भी शामिल है। फतेहपुर से भवानी सिंह पठानिया, जुब्बल कोटखाई से रोहित ठाकुर और अर्की से संजय अवस्थी के रूप में तीन नए विधायक कांग्रेस की तरफ से विधानसभा में होंगे।

शीतकालीन सत्र में आएंगे दो विधेयक

शीतकालीन सत्र में कुछ नए विधेयक भी सरकार सदन में रख सकती है। अभी तक जो भी विधेयक तय हो गए हैं, उनमें एक लोकायुक्त संशोधन विधेयक और दूसरा मंडी यूनिवर्सिटी का बिल होगा। राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है, क्योंकि नियमों में हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के जज का प्रावधान है। राज्य सरकार इस प्रावधान में अब हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को भी जोड़ रही है। इसके बाद नियुक्ति के लिए ज्यादा विकल्प सरकार को मिल जाएंगे। मंडी में पहले क्लस्टर यूनिवर्सिटी थी अब इसे स्टेट यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया जा रहा है और बिल के ड्राफ्ट को हाल ही में कैबिनेट ने मंजूर कर दिया है।


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