सरकार की नीति से परेशान ट्रक यूनियन

निजी संवाददाता-पंजैहरा
हिमाचल सरकार की नीति के चलते नालागढ़ ट्रक यूनियन के लोग अत्यंत परेशान हंै। एशिया की सबसे बड़ी ट्रक ऑपरेटर यूनियन नालागढ़ में जबसे गुड्स टैक्स को एक्साइज विभाग से हटाकर ट्रांसपोर्ट के तहत किया गया है, तब से ट्रक ऑपरेटरों पर नए कानून थोपे जा रहे हैं। नतीजा हजारों ट्रक ऑपरेटरों को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। ट्रक संचालकों को नेशनल परमिट बनाने के लिए एक्साइज विभाग की एनओसी मांगी जा रही है, ऐसे में समय पर नेशनल परमिट ना बनने के कारण ट्रक ऑपरेटरों को बाहरी राज्यों में अपने ट्रक खड़े करने पड़ रहे हैं। सरकार ने पहली जनवरी से आबकारी एवं कराधान विभाग में जमा होने वाला गुड टैक्स भी विभाग में जमा करने की अधिसूचना जारी कर दी है। नालागढ़ के एक ट्रक संचालक का ट्रक कोलकाता में इसलिए खड़ा है क्योंकि उसके पास नेशनल परमिट नहीं है।

जब ट्रक का संचालक परमिट बनाने आरटीओ कार्यालय गया, तो वहां पर गुड्स टैक्स का ऑप्शन आया इसे प्रोमोट की फीस जमा नहीं हुई। जब संचालक आबकारी एवं कराधान विभाग में पता किया तो उन्होंने ट्रक संचालक के 130000 पर गुड्स टैक्स पेनल्टी के साथ बकाया जमा करवाने के लिए कहा। इसी तरह नालागढ़ के कई ट्रक जिनका गुड टैक्स बकाया है अन्य प्रांतों में खड़े हैं। लेकिन गरीब ट्रक आपरेटर एक साथ इतनी बड़ी राशि जमा करवाने में असमर्थ हंै। ट्रक यूनियन नालागढ़ के प्रधान विद्या रतन चौधरी ने बताया कि उन्हें प्रदेश सरकार को लेटर लिखा है और कुछ समय के लिए ट्रक ऑपरटरों पर लगने वाले इस टैक्स को को माफ करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट बसों की तर्ज पर ट्रकों के टैक्स को माफ किया जाए।