‘आप’ का सीएम चेहरा

By: Jan 20th, 2022 12:05 am

एक विकराल आर्थिक विरोधाभास सामने आया है कि 57 लाख करोड़ रुपए से अधिक देश के सिर्फ 98 लोगों के पास हैं। इतना धन 55 करोड़ से अधिक आबादी के पास भी नहीं है। कितनी गहरी आर्थिक असमानता है देश में? जितना धन मुट्ठी भर लोगों के पास है, वह देश के बजट, 35 लाख करोड़ रुपए, से भी अधिक है। जिन पांच राज्यों में चुनावों का माहौल है, वहां स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के बजट में कटौतियां की गई हैं। बेरोज़गारी दर बहुत है। महंगाई दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। औसतन एक-तिहाई नागरिकों को रोज़गार हासिल है। पंजाब में तो हालात और भी बदतर हैं। मात्र 3.4 फीसदी ही स्वास्थ्य पर खर्च किया जाता है। पंजाब कोरोना टीकाकरण अभियान को लेकर फिसड्डी राज्यों की जमात में है। पंजाब पर 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज़ है। पंजाब के किसानों पर औसतन कर्ज़ 2 लाख रुपए से अधिक प्रति किसान परिवार है। पंजाब अब साधन-सम्पन्न पंजाब नहीं रहा। हर तीसरी दुकान पर बोर्ड लगा है-कनाडा, न्यूज़ीलैंड, सिंगापुर जाने के लिए मिलें। ऐसा लगता है कि पंजाबियों के लिए पंजाब में ही नौकरी या रोज़गार नहीं है।

सरकार अपने नौजवानों को विदेश भगाने पर आमादा है! आम आदमी पार्टी इस संस्कृति के खिलाफ दिख रही है। पंजाब में व्यापक बदलाव और सुधार करने की गुंज़ाइश है, जो किसी भी राजनीतिक नेतृत्व के लिए एक गंभीर चुनौती है। आर्थिक विरोधाभास और असमानता देश के स्तर पर है, लेकिन आज पंजाब भी उसका शिकार है और हमारा आज का विवेच्य विषय भी पंजाब ही है। इन हालात के बीच आम आदमी पार्टी ने अपने लोकसभा सांसद सरदार भगवंत मान को मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुना है। सर्वेक्षण के जरिए जनमत को परखा गया। पार्टी का दावा है कि 93.3 फीसदी लोगों की पसंद भगवंत मान थे, लिहाजा उन्हें यह दायित्व दिया गया है। लोकतंत्र में जन-भागीदारी का यह आयाम भी नायाब है, हालांकि यह तरीका भी सवालिया रहा है। भगवंत पंजाब में ‘आप’ के सबसे बड़े नेता रहे हैं और लगातार दूसरी बार लोकसभा में आए हैं। यह उनकी व्यापक स्वीकार्यता को प्रमाणित करता है। भगवंत पेशेवर तरीके से एक लोकप्रिय विदूषक भी रहे हैं, लेकिन विपक्ष उनके ‘शराबी’ होने का दुष्प्रचार बहुत करता रहा है। बहरहाल मान ‘आप’ के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं। उन्होंने गरीबी, बेरोज़गारी, महंगाई, नशे और रेत खनन के माफिया और कृषि आदि बेहद संवेदनशील मुद्दों के प्रति अपना और पार्टी का सरोकार जताया है, लिहाजा हमने भी आर्थिक यथार्थ का प्रासंगिक उल्लेख किया है।

 पंजाब में इस बार ‘आप’ की राजनीतिक भूमिका की खूब चर्चा है और खासकर शहरी, कस्बाई, युवा वर्ग एक बार उसे भी जनादेश देने के पक्ष में हैं। असल जनादेश 10 मार्च को सार्वजनिक होगा, लेकिन ‘आप’ ने अपने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया है। भगवंत पंजाब के मालवा क्षेत्र से आते हैं। वह सबसे ताकतवर इलाका है, क्योंकि राज्य के 117 विधायकों में से 69 विधायक मालवा से ही चुनकर आते हैं।ं ‘आप’ की 2017 में चुनावी शुरुआत भी मालवा से ही हुई थी, लेकिन मालवा में अकाली दल के बुजुर्ग नेता एवं पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके सरदार प्रकाश सिंह बादल का भी लोग बेहद सम्मान करते हैं। किसान आंदोलन से जुड़े रहे बलबीर सिंह राजेवाल सरीखे जिन चेहरों ने अब चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया है, वे भी मालवा में सक्रिय रहे हैं और किसानों के बीच उनका भावनात्मक समर्थन है। ‘आप’ के साथ उनके गठबंधन की भी खूब चर्चाएं चलीं, लेकिन अब सभी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। इस तरह मालवा की सरज़मीं सबसे गंभीर और पेचीदा चुनावी चुनौती पेश करेगी। यह भगवंत मान की पहली राजनीतिक अग्नि-परीक्षा भी होगी, क्योंकि अब उन पर एक पार्टी का नेतृत्व करते हुए चुनाव जिताने की भारी जिम्मेदारी भी होगी। पंजाब का चुनाव जातिगत आधारों पर नहीं होता। फिर भी जातियां मायने रखती हैं। मान जटसिख हैं। बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू सरीखे प्रमुख नेता भी जटसिख समुदाय से हैं। इसका वोट बैंक करीब 19 फीसदी है, जबकि दलित सर्वाधिक 32 फीसदी के करीब हैं।


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