देश में पिछले दो साल में वन एवं वृक्षों से भरे क्षेत्र 2,261 वर्ग किमी का विस्तार

By: Jan 14th, 2022 11:54 am

दिल्ली – भारत ने वन एवं वृक्षों से भरे क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में 2,261 वर्ग किलो मीटर का विस्तार हुआ है। इस दौरान देश में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र में वृद्धि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में हुई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के 17 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में एक तिहाई भौगोलिक हिस्सा वनों से पटा हुआ है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह रिपोर्ट जारी की। वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी करते हुए श्री यादव ने बताया कि देश का कुल वन और वृक्षों से भरा क्षेत्र 8.09 करोड़ हेक्टेयर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी हुई है।

इस दौरान उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि वर्ष 2021 के मौजूदा मूल्यांकन से पता चलता है कि 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनों से पटा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का ध्यान वनों को न केवल मात्रात्मक रूप से संरक्षित करने पर है बल्कि गुणात्मक रूप से इसे समृद्ध करने पर भी है। उल्लेखनीय है कि वन सर्वेक्षण रिपोर्ट यानी आईएसएफआर-2021 भारत के जंगलों में वन आवरण, वृक्ष आवरण, मैंग्रोव क्षेत्र, जानवरों की बढ़ती संख्या, भारत के वनों में कार्बन स्टॉक, जंगलों में लगने वाली आग की निगरानी व्यवस्था, ​​बाघ आरक्षित क्षेत्रों में जंगल का फैलाव, एसएआर डेटा का उपयोग करके जमीन से ऊपर बायोमास के अनुमानों और जलवायु परिवर्तन के संवेदनशील जगहों (हॉटस्पॉट) के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

मंत्रालय के मुताबिक देश का कुल वन और वृक्षों से भरा क्षेत्र 8.09करोड़ हेक्टेयर हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62 प्रतिशत है। वर्ष 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें से वनावरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 721 वर्ग किमी की वृद्धि पाई गई है।वन आवरण में सबसे ज्यादा वृद्धि खुले जंगल में देखी गई है, उसके बाद यह बहुत घने जंगल में देखी गई है। इस दौरान सबसे ज्यादा वन क्षेत्र में वृद्धि आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी) में हुई है। इसके बाद तेलंगाना (632 वर्ग किमी) और ओडिशा (537 वर्ग किमी) हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं।

कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53 प्रतिशत), अरुणाचल प्रदेश (79.33 प्रतिशत), मेघालय (76.00 प्रतिशत), मणिपुर (74.34 प्रतिशत) और नगालैंड (73.90 प्रतिशत) हैं। वहीं 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आच्छादित है। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से पांच राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं, जबकि 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात् मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादरा- नगर हवेली, दमन- दीव,असम और ओडिशा में वन क्षेत्र 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच है।देश में कुल मैंग्रोव क्षेत्र 4,992 वर्ग किमी है। वर्ष 2019 के पिछले आकलन की तुलना में मैंग्रोव क्षेत्र में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि पाई गई है।

मैंग्रोव क्षेत्र में सबसे ज्यादा वृद्धि ओडिशा (8 वर्ग किमी), महाराष्ट्र (4 वर्ग किमी) और कर्नाटक (3 वर्ग किमी) हुई हैं।देश के जंगल में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है और 2019 के अंतिम आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। कार्बन स्टॉक में वार्षिक वृद्धि 3.97 करोड़ टन है। गौरतलब है कि इस सर्वेक्षण के लिए भारत सरकार के डिजिटल भारत के दृष्टिकोण और डिजिटल डेटा सेट के एकीकरण की आवश्यकता के अनुरूप, एफएसआई ने 2011 की जनगणना के अनुसार भौगोलिक क्षेत्रों के साथ व्यापक अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल ओपन सीरीज टॉपो शीट के साथ भारतीय सर्वेक्षण द्वारा प्रदान किए गए जिला स्तर तक विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों की हर स्तर की जानकारियों का उपयोग किया गया है।

साथ ही मिड-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए देश के वन आवरण का द्विवार्षिक मूल्यांकन जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर वनावरण और वनावरण में बदलावों की निगरानी करने के लिए 23.5 मीटर के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन 1:50,000 की व्याख्या के साथ भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह डेटा (रिसोर्ससैट-II) से प्राप्त एलआईएसएस-III डेटा की व्याख्या पर आधारित है।
यह जानकारी जीएचजी खोजों, जानवरों की संख्या में बढ़ोत्तरी, कार्बन स्टॉक, फॉरेस्ट रेफरेंस लेवल (एफआरएल) जैसी वैश्विक स्तर की विभिन्न खोजों, रिपोर्टों और यूएनएफसीसीसी लक्ष्यों को वनों के लिए योजना एवं उसके वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए सीबीडी वैश्विक वन संसाधन आकलन (जीएफआरए) के तहत अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग के लिए तथ्य प्रदान करेगी।

पूरे देश के लिए उपग्रह डेटा अक्टूबर से दिसंबर 2019 की अवधि के लिए एनआरएससी से प्राप्त किया गया था। उपग्रह डेटा का पहले विश्लेषण किया जाता है और उसके बाद बड़ी कड़ाई से उसकी जमीनी सच्चाई का भी पता लगाया जाता है। विश्लेषित डेटा की सटीकता में सुधार के लिए अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी का भी उपयोग किया जाता है।

देश में वनों की स्थिति के वर्तमान मूल्यांकन में प्राप्त सटीकता का स्तर काफी अधिक है। वनावरण वर्गीकरण की सटीकता का आकलन 92.99 प्रतिशत किया गया है। वन और गैर-वन वर्गों के बीच वर्गीकरण की सटीकता का मूल्यांकन 85 फीसदी से अधिक के वर्गीकरण की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सटीकता के मुकाबले 95.79 प्रतिशत किया गया है। इसमें कठिन क्यूसी और क्यूए अभ्यास भी किया गया।