सरकार! नीलकंठ घाटी में कब बजेंगीं फोन की घंटियां

अटल टनल के पार लाहुल-स्पीति के चार गांव आज भी मोबाइल-इंटरनेट सुविधा से महरूम, गांववासी बोले, कब तक करना होगा सुविधा को इंतजार

प्रेम ठाकुर — केलांग
अटल टनल ने जिला लाहुल-स्पीति को एक नए युग में प्रवेश करवा दिया है, जहां वे अब शेष विश्व के साथ अधिक से अधिक समय तक जुड़े रहने की स्तिथि में आ चुके हैं। स्वस्थ व अन्य आपातकाल क्षणों में तुरंत घाटी से बाहर से मदद पहुंचाई जा सकती है। जरूरतमंद को तुरंत घाटी से बाहर पहुंचाया जा सकता है। इतना सब कुछ होते हुए भी लाहुल-स्पीति जिला जो कि पूरे प्रदेश के भू भाग का 24 प्रतिशत क्षेत्र है, इतने बड़े जिला के हर कौने तक अटल टनल की सुविधा का लाभ नहीं पहुंच पाया है, जहां अटल टनल के भीतर इंटनेट व मोबाइल सुविधा पहुंचा कर अत्यधिक आधुनिकता का परिचय दिया है। लाहुल-स्पीति जिला के कई गांव व घाटी अभी तक मोबाइल व इंटरनेट सुविधा से कौसों दूर हैं।

भगवान शिव के तपोस्थल व पवित्र नीलकंठ महादेव झील के लिए विख्यात नीलकंठ घाटी में यह सब अभी तक एक स्वपन मात्र ही है। मूरिंग पंचायत के अंतर्गत इस घाटी में मुख्य मार्ग से अंतिम गांव तक लगभग बीस किलोमीटर तक चार गांव चोवखंग, गवाड़ी, छोगजिंग व नैनगार आते हैं, जहां इंटनेट व मोबाइल की घंटी अभी तक बजी नहीं है। स्थानीय निवासी सुशील भानू व पूर्व प्रधान गणेश लाल कहते हैं कि उनके गांव में टेलिफोन सेट पहुंचाए अब लगभग बीस वर्ष हो गए हैं, परंतु कितनी बार उसका उपयोग हुआ या बजा यह उंगलियों में गिन सकते हैं। अधिकतर समय लाइन नहीं मिलती व फोन एक शोपीस बन कर रह गया है। शमशेर सिंह कहते है कि कई बार स्थानीय विधायक व प्रशासन से इस विषय मिल चुके हैं, परंतु कोई नेता आता है तो सिर्फ वोट मांगने के लिय मात्र। यहां उपलब्ध एकमात्र आयुर्वेदिक हास्पिटल व हेलिपेड भी सिर्फ गांववालों के व्यक्तिगत प्रयासों का ही नतीजा है। गांव के बुजुर्ग फुंचोग अंगरूप कहते हैं कि गांव तक सड़क पहुंचने का भी एक लंबा इतिहास है जिस में इस घाटी के गांववालों के अथक प्रयास के बाद ही सड़क सुविधा से जुडऩे का लाभ मिल सका है। (एचडीएम)