एनजीटी की बाधा कैसे पार करेगा शिमला डिवेलपमेंट प्लान

By: Jan 20th, 2022 12:46 am

स्टाफ रिपोर्टर-शिमला
शिमला शहर के लिए पहली बार बना रहे सिटी डिवेलपमेंट प्लान यानि शिमला विकास योजना में दी जाने वाली छूट में हरित क्षेत्र में केवल आवासीय उपयोग की अनुमति मिलेगी। टीसीपी एक्ट के तहत एनजीटी भी इसमें ओवररूल नहीं कर सकता है, क्योंकि भवन की परिधि टीसीपी एक्ट के तहत आती है। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा लाया जा रहा यह डेवलपमेंट प्लान लोगों को राहत देने वाला है, क्योंकि इस प्लान के तहत क्षेत्र को कोर व नॉन कोर एरिया में बांटा गया है और एनजीटी द्वारा यहां कैयरिंग कैपेसिटी रिपोर्ट भी तैयार करवाई गई है, जिसके तहत शिमला शहर के नगर निगम क्षेत्र व कोर एरिया की स्टडी की गई है। इसके तहत शिमला का कोर एरिया 225 स्क्वेयर किलोमीटर आता है।

राजधानी के उपनगरों सहित पूरे शहर में 2017 में आए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनटीजी) के आदेश के बाद से अढ़ाई मंजिल से ज्यादा भवन बनाने को स्वीकृति नहीं दी जा रही है। इसके तहत ज्यादा बड़े भवन बनाने पर पूरी तरह से रोक है। शहर के कोर एरिया में तो पूरी तरह से ही रोक है। कोर एरिया के लिए भी इस प्लान में काम हो रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा क्षेत्र नोन कोर यानी शहर और उपनगरों का अन्य हिस्सा है। जहां पर लंबे समय से लोग अढ़ाई मंजिल से ज्यादा का निर्माण नहीं कर पा रहे हैं। यह भवन मालिक लंबे समय से नए डिवेलपमेंट प्लान का इंतजार कर रहे हैं। सरकार की ओर से इसके जारी करने के बाद हजारों प्लाट धारकों को राहत मिलेगी। चार मंजिला भवन बनाने के लिए मंजूरी मिलेगी, इसके इंतजार में लोग अभी तक अढ़ाई मंजिल का नक्शा तक पास नहीं करवा रहे है। ऐसे में एनजीटी की दखलांदाजी न होने और टीसीपी रूल को ओवर राइट न कर पाने के कारण यह डिवेलपमेंट प्लान लोगों को राहत देने वाला होगा।

सरकार की अमृत उपयोजना के तहत बनी योजना
शिमला योजना क्षेत्र के लिए जीआईएस आधारित विकास योजना तैयार करने की वर्तमान प्रक्रिया भारत सरकार की अमृत उप योजना के तहत की जा रही है। हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 1977 (1977 का अधिनियम 12) के प्रावधानों के अनुसार, विकास योजनाओं की तैयारी राज्य सरकार की विधायी क्षमता के भीतर है। इस डिवेलपमेंट प्लान के मसौदे को राज्य सरकार के कानून विभाग के महाधिवक्ता व भारत के सॉलिसिटर जनरल के पास अंतिम अधिसूचना व प्रकाशन से पहले एचपीटीसीपी अधिनियम, 1977 के तहत रखा जाएगा।

हरित क्षेत्र में यह विनियम होंगे लागू
शिमला विकास योजना के तहत हरित क्षेत्र में यह विनियम लागू होंगे । इसके तहत हरित क्षेत्रों में केवल आवासीय उपयोग की अनुमति होगी। न्यूनतम भूखंड का आकार/क्षेत्र 150 एम2 होगा और अधिकतम 50 प्रतिशत कवरेज की अनुमति होगी। आवासीय उपयोग के लिए निर्धारित पार्किंग मानदंडों के अनुसार अधिकतम 2 मंजिल और अटारी (रहने योग्य), (पार्किंग सहित) के साथ निर्माण की अनुमति दी जाएगी। हरित क्षेत्र में पुरानी लाइनों पर दोबारा निर्माण की अनुमति उसी प्लिंथ क्षेत्र के साथ होगी और नहीं। पेड़ों की कटाई निषिद्ध होगी और मौजूदा पेड़ से 2 मीटर के दायरे में और मौजूदा पेड़ की परिधि से मापी गई वन सीमा से 5 मीटर के दायरे में किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। भवन उपयोग में परिवर्तन/भूमि उपयोग में परिवर्तन पूर्णत: प्रतिबंधित होगा। अधिकतम हिल कटिंग 3.5 मीटर होगी। रेन वाटर हार्वेस्टिंग और सोलर पैसिव के प्रावधान अनिवार्य होंगे। राजधानी शिमला सहित पूरे क्षेत्र के प्लानिग एरिया के लिए डिवेलपमेंट प्लान 1977 में बना था, उस समय इसे 1979 में लागू किया, लेकिन यह भी अंतरिम प्लान ही था। इसमें 42 सालों में करीब 30 से अधिक संशोधन किए गए है। सरकार द्वारा यह पहला प्लान बनाकर तैयार किया जा रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय से आया था ये फैसला
पांच मई, 2003 को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सरकार व्यक्तियों को निजी संपत्ति के उपयोग से वंचित नहीं कर सकती। आदेशों में कहा गया है कि हम उस क्षेत्र के निवासियों की रुचि की काफी सराहना करते हैं कि पारिस्थितिकी के लाभ के लिए, कुछ क्षेत्रों को बागीचे या पार्क के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए। क्षेत्र के निवासियों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए उनके सार्वजनिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए निजी भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है लेकिन निजी भूमि का अधिग्रहण किए बिना सरकार उस भूमि के मालिक को आवासीय उद्देश्य के लिए उस भूमि का उपयोग करने से वंचित नहीं कर सकती है। सवाल यह है कि क्या सरकार जमीन का अधिग्रहण किए बिना किसी व्यक्ति को जमीन के इस्तेमाल से वंचित कर सकती है। हमारे विचार से ऐसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, विदाई से पहले हम देख सकते हैं कि हमने इस संभावना का पता लगाने की कोशिश की कि यदि नगर निगम अभी भी भूमि अधिग्रहण के लिए तैयार है तो इस समय भी हम उन्हें भूमि अधिग्रहण करने की अनुमति दे सकते हैं। यदि छह महीने के भीतर इलाके के निवासी संबंधित द्वारा भूमि के अधिग्रहण के लिए धन जुटा सकते हैं, तो उनके लिए इस भूमि को इलाके के लाभ के लिए बगीचे के रूप में रखने के लिए खुला होगा। यदि नहीं, तो यह अपीलकर्ता के लिए कानून के अनुसार आवासीय अन्य प्रायोजनों के लिए भूमि का उपयोग करने के लिए खुला होगा।


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