तालाबों के शहर से गायब हो रहे सरोवर
ऐतिहासिक नाहन शहर में प्रशासन की अनदेखी और साफ-सफाई के अभाव में अपना अस्तित्व खो रहे तालाब
सिटी रिपोर्टर-नाहन
तालाबों के शहर में तालाबों की ही दुर्दशा लगातार हो रही है। जिला मुख्यालय नाहन शहर रियासतकालीन दौर से तालाबों व बावडिय़ों के शहर के तौर पर जाना जाता रहा है, मगर वर्तमान में दौर में लगातार शहर की सुंदरता व शहर के मौसम को अनुकूल बनाए रखने में सहायक इन तालाबों की अनदेखी साफ देखी जा रही है। वर्तमान में नाहन शहर में पक्का तालाब के अलावा कालीस्थान तालाब व रानीताल तालाब ही अस्तित्व में रह गए हैं। वहीं, इन तालाबों की हालत रख-रखाव के अभाव में खस्ता हो रही है, जबकि रामकुंडी स्थित तालाब अब भूमि का एक भूखंड बनकर रह गया है। वहीं, कालीस्थान तालाब में भी गंदगी का साम्राज्य लगातार बढ़ता जा रहा है। नाहन शहर के प्रकृति प्रेमी प्रेमपाल महिंद्रू, वरिष्ठ नागरिक सभा के दिग्विजय गुप्ता, सेवानिवृत्त अध्यापक संगठन के प्रधान दलीप सिंह वर्मा व ओएल चौहान इत्यादि दर्जनों लोगों का कहना है कि नाहन के ऐतिहासिक तालाब साफ-सफाई के अभाव में जहां सौंदर्य खो रहे हैं।
वहीं, इन तालाबों में लगातार निर्माण, घरों से निकलने वाले पूजा सामग्री के अलावा डिस्पोजबल खाने-पीने की वेस्ट साम्रगी को फेंक कर गंदा किया जा रहा है, जिस पर नगर परिषद को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, मगर देखा जा रहा है कि शहर की इन ऐतिहासिक धरोहरों की ओर कोई भी ध्यान न होने से तालाब अब इतिहास बनते जा रहे हैं। वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि तालाबों के लिए साल दो साल के बीच कभी सफाई करवाने की शुरुआत हो भी जाती है, मगर फिर वर्षों तक स्थिति जस की तस रहती है। वहीं नागरिक भी तालाबों के रखरखाव के प्रति संजीदगी नहीं दिखा रहे हैं। नतीजतन तालाबों के शहर में तालाब ही अब एक इतिहास बनने जा रहे हैं। गौर हो कि नाहन शहर का रानीताल तालाब एक खूबसूरत सैरगाह भी है। वहीं, यहां पर वोटिंग का भी लोग लुत्फ उठाते हैं, मगर काई बढऩे से तालाब का सौंदर्य भी विलीन हो रहा है, जबकि पक्का तालाब में गंदगी का आलम रहता है। हालांकि हिंदू जागरण मंच ने तालाबों के रखरखाव के लिए ताल आरती का भी निर्णय लिया है, मगर साफ-सफाई के अभाव में निर्णय सिरे नहीं चढ़ पा रहा है।
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