नगर परिषद पांवटा में ढूंढे नहीं मिल रहा स्टाफ

न तो कार्यकारी अधिकारी; जेई की भी हो गई है ट्रांसफर, कुल 30 पद चल रहे हैं रिक्त

कार्यालय संवाददाता-पांवटा साहिब
जिस नगर परिषद में कार्यकारी अधिकारी सहित अन्य मुख्य पद रिक्त पड़े हों, वहां पर शहर में कोरोना की रोकथाम के लिए कितना काम हो सकता है, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है। बात पांवटा साहिब नगर परिषद की हो रही है, जहां पर पहली जनवरी से कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त पड़ा है। वहीं जेई की भी ट्रांसफर हो गई है। इसके साथ ही सेनेटरी सुपरवाइजर सहित अन्य 30 पद रिक्त पड़े हैं। ऐसे में कोरोना वायरस के दौरान रोकथाम के उपायों के लिए नगर परिषद कितना काम कर पाएगी यह सोचने वाले विषय हैं। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार नायब तहसीलदार देख रहे थे, जो बीते 31 दिसंबर, 2021 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

उसके बाद कार्यकारी अधिकारी का किसी के पास अतिरिक्त कार्यभार भी नहीं है। परिणामस्वरूप जहां अभी तक करीब 100 कर्मचारियों का दिसंबर माह का वेतन जारी नहीं हो पाया है, वहीं कोरोना की रोकथाम के लिए शहर में नगर परिषद द्वारा करवाए जाने वाले दवाइयों के छिड़काव की मुहिम को भी धक्का लग गया है। कांग्रेस की मानें तो एक और जहां ऊर्जा मंत्री पांवटा साहिब के विकास के दावे करते फिर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर नगर परिषद में अहम पदों से लेकर अन्य 30 पदों के रिक्त होने से ही पता चल जाता है कि पांवटा का विकास किस गति से चल रहा है। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में नगर परिषद में करीब 100 कर्मचारी कार्य करते हैं। इनमें 87 कर्मचारी अनुबंध और आउटसोर्स पर तैनात हैं, जबकि अन्य नियमित कर्मचारी हैं। कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त होने के चलते इन कर्मचारियों को दिसंबर माह का वेतन भी अभी तक नहीं मिल पाया है जो एक से सात तारीख तक जारी हो जाता था। इसके अतिरिक्त डोर-टू-डोर गारबेज उठाने वाले कर्मचारियों का वेतन भी जारी नहीं हो पाया है।

यही नहीं पिछले दो वर्षों में जिस नगर परिषद ने कोरोना महामारी के दौरान बेहतरीन सेवाएं दी हैं, वह इस बार अधिकारियों की अनुपस्थिति में कुछ कार्य करने में भी असमर्थ सी नजर आ रही है। न तो अभी तक शहर में कहीं भी दवाई का छिड़काव हो पाया है और न ही सरकार और सरकार के नुमाइंदे यहां पर रिक्त पदों को भरने की जहमत उठा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक यहां पर तैनात कनिष्ठ अभियंता का भी यहां से नाहन तबादला हो गया है। हालांकि कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त होने के चलते जेई अभी तक रिलीव नहीं हुए हैं। लेकिन आए दिन अहम विभागों के पदों का रिक्त होना कहीं न कहीं विपक्ष के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिस पर आने वाले समय में राजनीति देखने को मिल सकती है। ऐसे में यदि जल्द यहां पर ईओ सहित अन्य रिक्त पदों पर भर्ती नहीं होती है तो ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी की मुश्किलें आने वाले समय में ओर बढ़ सकती हैं। उधर, इस बारे में एसडीएम पांवटा साहिब विवेक महाजन ने कहा कि उन्हें फिलहाल ईओ के अतिरिक्त कार्यभार संभालने के कोई आदेश नहीं मिले हैं। रही बात शहर में छिड़काव की, तो वह अपने कार्यालय के माध्यम से शहर में छिड़काव करवा रहे हैं।