बड़सर में पैसा खर्च कर प्यास बुझा रहे ग्रामीण
उपमंडल के कई इलाकों के नलों में पेयजल की बूंद हफ्तों से नहीं टपक रही
नवनीत सोनी-बड़सर
उपमंडल बड़सर के अंतर्गत कई इलाकों में पेयजल संकट लगातार गंभीर होता जा रहा है। हालात ये हैं कि पानी के लिए लोगों को भाग-दौड़ करने के अलावा अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ रही है। ये हाल तब है, जबकि जल शक्ति विभाग लोगों को साफ-सुथरा व पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाने के दावे लगातार करता रहता है। हालांकि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी कई इलाकों के नलों में पेयजल की बूंद हफ्तों से नहीं टपक पाई है। बता दें कि उपमंडल की ग्राम पंचायत धंगोटा व उसके आस-पास की पंचायतों के सैकड़ों परिवार पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक एक हफ्ते से ज्यादा समय बीतने के बाद भी इलाके के नल सूखे हैं। लोग अपनी पेयजल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक जल स्त्रोतों के आसरे हैं, जबकि कई इलाकों के लोग जोड़-तोड़ करके भारी भरकम दामों से पानी के टेंकर मंगवाकर गुजारा कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में एक पेयजल टेंकर 800 से 1000 रुपए तक बिक रहा है। हैरानी की बात है कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए केवल मात्र प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ रहा है। लोग प्राकृतिक जल स्त्रोतों या हैंडपंप के माध्यम से प्यास बुझाने को भागदौड़ कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक बारिश का न होना सोर्स सूखने की मुख्य वजह है अगर पर्याप्त बारिश न हुई, तो संकट और भी गहरा सकता है। (एचडीएम)