मंगला के दूसरे मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब

By: May 25th, 2022 12:18 am

रिमझिम बौछारों के बावजूद भी शीतला माता मंदिर के बाहर लगी भक्तों की कतारें; पांच मंगलवारों तक सजेग मेला, 31 मई को स्थानीय अवकाश

आरुणि पाठक, नालागढ़
रियासतकाल से नालागढ़ में चलने वाले ऐतिहासिक मंगला के दूसरे मेले में बारिश ने खूब खलल डाला, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था बारिश पर भारी पड़ी और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंा के दर पर शीश नवाया। सुबह से ही रिमझिम बौछारों की लगी झड़ी के बावजूद आस्था का सैलाब जमकर उमड़ा और भारी संख्या में लोगों ने शीतला माता मंदिर का रूख किया और माता की पूजा अर्चना करके परिवार की खुशहाली व चर्म रोगों से उपचार की कामना की। श्रद्धालुओं ने यहां पवित्र जल, गुलगुले, चने, खील बताशे व अनाज का प्रसाद चढ़ाया। ज्येष्ठ माह के पहले मंगलवार से शुरू हुए यह मेले इस बार पांच मंगलवारों तक सजेंगे, जबकि 17 जून को क्षेत्रवासियों के लिए भंडारे का भी आयोजन होगा। स्थानीय प्रशासन ने भी इन मेलों के उपलक्ष्य में तीसरे मंगलवार को स्थानीय अवकाश घोषित किया हुआ है, जो कि इस बार 31 मई को होगा। जानकारी के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुरू होते ही ऐतिहासिक मंगला दे मेले का शुभारंभ होता है। हंडूर रियासत के राजा रामशरण के समय से करीब पांच सौ सालों से यह मेला मनाया जाता आ रहा है। नालागढ़ शहर के शीतला माता मंदिर परिसर में इन मेलों में भारी सं या में श्रद्धालु यहां शीश नवाने आते है।

इन मेलों में खासकर तीसरे मेले में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है और यहां नालागढ़ व दून के अलावा बाहरी राज्यों के श्रद्धालु शीश नवाने आते है। हंडूर रियासतकाल से प्रत्येक वर्ष लगने वाले इस बार के यह ऐतिहासिक मंगला दे मेले का शुभारंभ हो गया है। मेलों के दौरान श्रद्धालु यहां स्थित शीतला माता के मंदिर में जाकर हाजिरी भरते हैं और माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते है। श्रद्धालु मंदिर में पवित्र जल, गुलगुले, चने, खील-बताशा व अनाज का प्रसाद चढ़ाते है। इन मेलों में बीबीएन क्षेत्र के अलावा पंजाब, हरियाणा आदि दूरदराज क्षेत्रों के हजारों की सं या में लोग यहां शीश नवाने आते है और माता का आर्शीवाद प्राप्त करते है। शीतला माता मंदिर की मान्यता है कि बच्चों व बड़ों को होने वाली फोड़ा, फूंसी, चिकनपॉक्स आदि चर्म रोगों का उपचार होता है, जिसके चलते लोग यहां भारी सं या में अपने परिवार सहित आते हैं और बच्चों से लेकर बुजुर्ग यहां मंदिर में शीश नवाते है। गौरतलब है कि यह मेला हंडूर रियासत के शासनकाल से मनाया जाता आ रहा है और इस मंदिर में पुश्त दर पुश्त महंत गंगादास का परिवार इसकी सेवा करता आ रहा है। मंदिर के सेवादार मोहन दास ने बताया कि मंगला दा मेले का चलन हंडूर रियासत के समय से करीब पांच सौ वर्षों से चला आ रहा है और वह पुश्त दर पुश्त इस मंदिर की सेवा कर रहे है। उन्होंने कहा कि तीसरे व चौथे मेले में यहां खासी भीड़ उमड़ती है। उन्होंने कहा कि मेलों के दौरान लोग माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है और मंदिर की मान्यता है कि चर्म रोगों का यहां उपचार होता है। श्रद्धालुओं के लिए 17 जून को भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
े-एचडीएम


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