धर्मशाला की अंजलि ने फतह की यूनम पीक

By: May 17th, 2022 12:04 am

गमरू की बेटी ने पारंपरिक नुआचड़ी पहन पहले क्लींबर्ज गद्दी समुदाय को समर्पित की सफलता

अब ज्यो टिब्बा, नूनक संग एवरेस्ट चढऩा है होनहार का लक्ष्य

नरेन कुमार— धर्मशाला
स्मार्ट सिटी धर्मशाला की बेटी अंजलि शर्मा ने लेह-लद्दाख की सबसे मुश्किल चोटी यूनम पीक को फतह कर लिया है। इतना ही नहीं अंजलि शर्मा ने दुनिया के सबसे पहले व पुराने कलींबर्ज गद्दी समुदाय को अपनी सफलता को समर्पित किया है। इसके लिए अंजलि ने बकायदा पीक पर पहुंचने के साथ ही गद्दी जनजाति की पारंपारिक वेशभूषा का महत्त्वपूर्ण पहनावा नुआचड़ी पहनकर भारत का तिरंगा लहराया है। लेह-लद्दाख की छह हजार 110 मीटर चोटी को फतह करने के साथ ही अब हिमाचली बेटी आगामी समय में ज्यो टिब्बा, नूनक की चढ़ाई चढेंग़ी। उनके लक्ष्य में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करना भी शामिल है। धर्मशाला के गमरू की रहने वाली अंजलि शर्मा के जीवन में चाहे छोटी सी उम्र में ही पिता का हाथ छूट गया हो, लेकिन उसने पहाड़ जैसे हौसलों के दम पर बड़े-बड़े पहाड़ों की चोटियां फतेह करने का मुकाम अपने नाम करने का सिलसिला शुरू कर लिया है। गमरू की अंजलि ने गल्र्ज स्कूल धर्मशाला में अपनी शुरुआती पढ़ाई की है। इसके बाद इग्रू से ग्रेजुएशन और अब पीजी की पढ़ाई भी जारी रखी है। अंजलि शर्मा ने अटल बिहारी पर्वतारोहन संस्थान मनाली से वर्ष 2010-11 में ही बेसिक और एंडवास कोर्स पूरा कर लिया था।

इसके बाद लगातार विभिन्न प्रकार के कोर्स करते हुए सरकारी संस्थानों में छात्रों को गाइड कोर्स करने में प्रशिक्षण भी दिया। अंजलि शर्मा ने वर्ष 2017 में धौलाधार की सबसे ऊंची चोटी हनुमान टिब्बा की चढ़ाई चढ़ी। 2018 में बतौर लीडर पीर-पंजाल की ऊंची चोटी फ्रेंडशिप पीक की चढ़ाई की। इसे वह लगातार पांच बार फतेह कर चुकी हैं। अब 14 मई को उसने छह हज़ार 110 मीटर ऊंचाई वाली यूनम पीक को अल्पाइन स्टाइल में फतह किया है। इसमें उसने बिना पोर्टर और घोड़े के खुद ही अपना सभी सामान कैरी करते हुए अपने सात सदस्यीय टीम के साथ चढ़ाई की। इसमें पांच लोगों की तबीयत खराब होने पर उन्हें वापस आना पड़ा। पर अंजलि ने यूनम पीक की कठिनाइयों को हराते हुए गद्दी नुआचड़ी पहनकर यूनम में तिरंगा फहराया। इसके साथ ही उन्होंने पहले कलींबर्ज के रूप में गद्दी समुदाय को अपनी पीक फतेह समर्पित की है। अंजलि शर्मा का कहना है कि गद्दी समुदाय हिमाचल ही नहीं, विश्व की सबसे प्राचीन जनजाति में से एक है। गद्दी समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में ही भ्रमण करते हुए अपना जीवन-यापन करते रहे हैं। अंजलि ने ‘दिव्य हिमाचल से विशेष बातचीत में बताया कि अब उनका लक्ष्य ज्यो टिब्बा, नूनक और एवरेस्ट चोटी फतह करने का है। (एचडीएम)


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