सिविल कोर्ट सुन सकते हैं नौतोड़ के मामले, क्षेत्राधिकार पर प्रदेश उच्च न्यायालय ने दी महत्त्वपूर्ण व्यवस्था

By: May 18th, 2022 12:06 am

विधि संवाददाता—शिमला

प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था दी है कि नौतोड़ स्कीम के तहत आने वाले मामले सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आते हैं। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से भेजे गए संदर्भ में यह निर्णय दिया। हाई कोर्ट की एकलपीठ ने खंडपीठ के समक्ष यह संदर्भ भेजा था कि नौतोड़ स्कीम के तहत आने वाले मामले सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आते है या नहीं। तथ्यों के अनुसार करसोग के दीना नाथ को वर्ष 1980 में नौतोड़ स्कीम 1975 के तहत नौतोड़ भूमि आबंटित की गई थी। वर्ष 1984 में उसकी मृत्यु होने के बाद यह जमीन उसके जायज वारसान में बंट गई, जिन्होंने इस जमीन को याचिकाकर्ता को बेच दिया था। नौतोड़ स्कीम 1975 के प्रावधानों के अनुसार न तो दीना नाथ ने और न ही उसके जायज वारसान ने नौतोड़ भूमि को दो वर्ष के भीतर कृषि योग्य बनाया, इसलिए डीसी मंडी ने इस नौतोड़ भूमि को सरकार में निहित करने के आदेश पारित किए।

याचिकाकर्ता ने डीसी के आदेशों को सिविल कोर्ट ने चुनौती दी, लेकिन सिविल कोर्ट ने हाई कोर्ट की एकलपीठ की ओर से दिए गए निर्णय के अनुसार याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया। एकलपीठ ने यह व्यस्था दी थी कि नौतोड़ स्कीम के तहत आने वाले मामले सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं। सिविल कोर्ट के इस निर्णय को प्रार्थी ने हाई कोर्ट की एकलपीठ के समक्ष चुनौती दी। हाई कोर्ट की एकलपीठ की ओर से पहले दिए गए निर्णय को देखते हुए एकलपीठ ने खंडपीठ के समक्ष यह संदर्भ भेजा था कि नौतोड़ स्कीम के तहत आने वाले मामले सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आते है या नहीं।


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